बदायूँ : भगवान परशुराम विद्या मन्दिर इण्टर कॉलेज मे रामजी द्विवेदी महाराज ने रामकथा के छठे दिन भगवान श्रीराम जी के वन गमन का वृतांत सुनाया। उन्होंने मंथरा दासी का उदाहरण देते हुए कहा कि कुसंग का परिणाम हमेशा भयंकर होता है। और वही प्रभाव कैकेई पर पड़ा भी ।भजनों की प्रस्तुति पर वातावरण भक्तिमय हो गया।

श्रीराम कथा में रामजी द्विवेदी ने कहा जब राम वन गमन की कथा का मार्मिक वर्णन किया तो श्रद्धालु भावुक हो गए। कथा व्यास ने कहा कि चारों पुत्रों का विवाह होने के बाद राजा दशरथ ने श्रीराम को अयोध्या का राजा बनाने का निर्णय लिए। यह समाचार सुन नगर में खुशियां मनाई जाने लगीं। इसी बीच मंथरा ने कैकेई को उकसा दिया ।मंथरा के कहने पर माता कैकेई ने महाराज दशरथ से दो वरदान मांगे । जिन्हें सुनकर महाराज दशरथ ब्याकुल हो गए । महाराज दशरथ कैकेई से अपने वरदान बदलने के लिए कहते हैं। परंतु कैकेई कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है ।राजा दशरथ पूरी रात राम राम कहते हैं और रोते रहे ।सुबह अयोध्या वासी महल में राजा दशरथ के दर्शन के लिए पहुंचते हैं ।जब राम पिता दशरथ की दशा देखते हैं तो भगवान श्री राम रो पड़ते हैं । और माता कैकेई से कहते हैं कि वह बेटा भाग्यशाली होता है जो अपने माता पिता की आज्ञा का पालन करता है ।

महारानी कैकेयी ने राजा दशरथ से राम को चौदह वर्ष वनवास का वर मांग लिया। पिता की आज्ञा पाकर भगवान राम ने जब भाई लक्ष्मण व पत्नी सीता के साथ वन के लिए प्रस्थान किया तो पूरी अयोध्या नगरी उनके पीछे-पीछे चल पड़ी जिन्हें राम ने वापस किया। जब भगवान राम गंगा नदी पार करने के लिए उसके तट पर पहुंचे तो यह खबर सुनते ही निषाद राज गुह्य खुशी से फूले नही समाए। उन्हें नदी के पार उतारा। जब भगवान राम उतराई के तौर पर निषाद को मां सीता की अंगूठी देने लगे तो निषाद राज ने कहा कि हे भगवान जिस तरह मैने आपको नैया से गंगा के इस पार उतारा है, उसी प्रकार आप मेरी भी नैया को भवसागर से उस पार लगा लेना। इधर पुत्र विक्षोह से व्याकुल होकर राजा दशरथ ने अपने प्राणों का परित्याग कर दिया।

इस अवसर पर रामबहादुर पाण्डेय, राजेश्वर पाठक , डा विनय दुवे ,वाचस्पति शंखधार, निवेदिता शंखधार, राहुल पाण्डेय, लीला पाण्डेय, कुसुम पाण्डेय आदि उपस्थित रहे।

 

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