*- डॉ. मनसुख मांडविया, केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण एवं रसायन व उर्वरक मंत्री*
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार ने आठ साल के कार्यकाल के दौरान ‘समग्र विकास’ की परिकल्पना को जमीन पर उतारा है। ‘सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण’ मोदी सरकार के शासन के मूल आधार रहे हैं। इसी कर्तव्य भावना से सैंकड़ो निर्णय और पहल हुए जिससे गरीबों के जीवन में नई रौशनी आई है।
इन आठ सालों में हेल्थ सेक्टर में ऐतिहासिक क्रांति हुई है। सरकार ने सामान्य प्रयासों के दायरे से परे हटकर मॉडर्न हेल्थ ईकोसिस्टम तैयार करने पर कार्य किया है जो एक्सेसबल, अफोर्डेबल और सस्टेनेबल हो। मोदी सरकार ने स्वास्थ्य अधिकार की बातें किए बिना ही अपने कार्य से देश के जन-जन की ‘स्वास्थ्य सुरक्षा’ सुनिश्चित करने का कार्य किया है। 2017 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति लाकर देश की हेल्थ इकोसिस्टम को सही दिशा देना सुनिश्चित किया है।
मोदी सरकार ने जब ‘स्वस्थ भारत’ की बात की तब उसमें सिर्फ दवा, अस्पताल और डॉक्टर नहीं हैं बल्कि सबसे पहली प्राथमिकता यह होती है कि देश का नागरिक बीमार ही ना हो। इसके लिए योग और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। अगर कोई बीमार हो भी जाता है तो बहुत शुरुआती चरण में जांच के जरिए रोग का पता लगाया जा सके और उसका समयबद्ध उपचार किया जा सके, इसकी पूरी व्यवस्था की गई है।
मोदी सरकार के प्रयासों के तीन स्तंभों में ‘सेवा’, ‘सुशासन’ और ‘गरीब कल्याण’ की दृष्टि से अगर हम देखें तो हमें इन प्रयासों की विशालता नजर आएगी।
मुफ्त दवा एवं डायग्नोस्टिक सेवा आज बड़े पैमाने पर उपलब्ध कराई जा रही है। देश के 50 करोड़ से अधिक लोगों को साल का 5 लाख रुपये का मुफ्त स्वास्थ्य बीमा आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना मुहैया कराया जा रहा है। इस योजना के तहत देश का गरीब से गरीब व्यक्ति उसी अस्पताल में ईलाज करा सकता है, जहां देश के अमीर से अमीर व्यक्ति का ईलाज होता है।
भारत का प्रभावी कोविड मैनेजमेंट और वैक्सीनेशन अभियान दुनिया के लिए एक मिसाल बन गया है और इसकी तारीफ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हो रही है। देश के 12 साल से अधिक आयु वाले सभी नागरिकों को दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान ‘सबको वैक्सीन, मुफ्त वैक्सीन’ के तहत 192 करोड़ से अधिक कोविड के मुफ्त टीके लग चुके हैं।
प्रधानमंत्री मोदी जी की पहचान पूरी दुनिया में ‘मेडिसिन मैन’ की बनी है। यह उनके नेतृत्व में हुए प्रयासों का ही फल है कि अभी देश में 8,700 से ज्यादा जनऔषधि केंद्र पर 1,000 से अधिक जेनरिक और गुणवत्तापूर्ण दवाएं बाजार कीमत से 50 प्रतिशत से 90 प्रतिशत कम पर देश के लोगों को उपलब्ध कराई जा रही हैं। यह सब प्रधानमंत्री जी के ‘सेवा भाव’ का परिणाम है।
मोदी जी ने पहले दिन से ही रि फॉर्म, पर फॉर्म और ट्रांस फॉर्म के सिद्धांत से काम करने का मार्ग प्रशस्त किया है। हेल्थ सेक्टर में भी सुशासन के मंत्र से बहुत सारे कदम उठाए गए जिसके चलते हम देश के गरीब से गरीब और दूर से दूर बैठे हुए नागरिक तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचा पाने में सक्षम हुए हैं।
2018 में इसी अवधारणा को आगे बढ़ाते हुए आयुष्मान भारत हेल्थ ऐंड वेलनेस सेंटर बनाने की शुरुआत हुई। पहले जो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र काम कर रहे थे, उनमें ईलाज पर जोर था लेकिन हेल्थ ऐंड वेलनेस सेंटर्स के जरिए बचाव पर जोर दिया गया। आज देश के हेल्थ ऐंड वेलनेस सेंटर को टेलीकंसल्टेशन की सुविधा से जोड़कर हम लोगों के घर के नजदीक सुपर स्पेशिलिटी डॉक्टर ले जाने में सफल रहे हैं। अब तक 1.18 लाख ऐसे सेंटर्स लोगों की सेवा कर रहे हैं। दिसंबर, 2022 तक पूरे देश में 1.5 लाख हेल्थ ऐंड वेलनेस सेंटर्स खोलने की योजना है।
लोगों के हेल्थ रिकाॅर्ड को सही तरह से रखने और उन हेल्थ रि कॉर्ड से ईलाज के निर्णय प्रक्रिया को आधुनिक बनाने के लिए आज आयुष्मान भारत डिजिटल हेल्थ मिशन तेजी से कार्य कर रहा है और कुछ ही समय में हम दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल हेल्थ इकोसिस्टम सुनिश्चित कर लेंगे। कोविड महामारी के दौरान हमारे अनुभव में यह आया कि हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था को और मजबूत बनाने की जरूरत है। इससे सबक लेते हुए मोदी जी ने हिंदुस्तान के पब्लिक हेल्थ सिस्टम को मॉडर्न करने के लिए, अगले 50 साल की जरूरत पूरा करने के लिए और कोविड जैसी कोई विपदा आ पड़े तो उससे ठीक से निपटने के लिए प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर मिशन लॉन्च किया है। इस पर तकरीबन 65,000 करोड़ रुपये का निवेश हो रहा है। हर जिले में हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने पर तकरीबन 100 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना है।
देश के स्थानीय निकायों और नगरपालिकाओं के पास स्वास्थ्य सेवा देने की जिम्मेदारी तो थी लेकिन पर्याप्त फंड नहीं था। 15वें वित्त आयोग से ऐसे स्थानीय निकायों को सीधे पैसे देने की शुरुआत मोदी सरकार ने की है। मोदी सरकार के कार्यकाल में एमबीबीएस सीटों की संख्या 75 प्रतिशत बढ़कर तकरीबन 90,000 हो गई है। वहीं पोस्ट ग्रैजुएट की सीटें करीब दोगुना होकर 60,000 से अधिक हो गई हैं। मेडिकल कॉलेज की संख्या डेढ़ गुना बढ़कर तकरीबन 600 हो गई हैं। आठ साल में एम्स की संख्या 6 से बढ़कर 22 हो गई है। ये सब सुशासन के मंत्र से हासिल की गई उपलब्धियां हैं।
जैसा कि मैंने पहले बताया मोदी सरकार का पहला फोकस देश के नागरिक को बीमार बनने से बचाने का है और यह सर्वविदित है कि बीमारी और गरीबी का सीधा संबंध है। अगर हमें गरीबी हटानी है तो पहले बीमारी हटानी होगी। गरीबों की सेवा के भाव से पिछले आठ साल में ऐसे कई कदम उठाए गए जिससे गरीब को स्वस्थ जीवन प्रदान किया जाए। करीब 10 करोड़ घरों में शौचालय बनाकर 6 लाख गांवों को खुले में शौच मुक्त बनाया गया। 2.6 करोड़ घरों को बिजली के मुफ्त कनेक्शन दिया गया। 9.5 करोड़ से अधिक घरों में जल जीवन मिशन के तहत पीने का स्वच्छ नल से जल पहुंचाया गया। 9.17 करोड़ महिलाओं को रसोई घर के धुएं से आजादी दिलाने के लिए मुफ्त एलपीजी कनेक्शन दिए गए। कोविड महामारी के दौरान गरीब को भूखे सोने की नौबत न आए और गरीबों का पोषण और स्वास्थ्य सुनिश्चित रहे, इसलिए तकरीबन 80 करोड़ लोगों को पिछले दो साल से अधिक वक्त से प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत मुफ्त राशन देने का काम किया जा रहा है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के ‘अंत्योदय’ के मंत्र से प्रेरणा लेकर प्रधानमंत्री मोदी जी ने ऐसे बहुत सारी योजनाएं लाई हैं और प्रयास किए हैं, जिनसे गरीबों का स्वास्थ्य और जीवन बेहतर बन रहा है।
भारत जब अमृत काल में नई ऊंचाइयां हासिल कर रहा है, तब मोदी जी के ‘सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण’ के मंत्र के साथ देश का स्वास्थ्य क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहा है और साथ में यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि इस विकास यात्रा में देश के 140 करोड़ लोग लाभान्वित हों। ताकि देश के किसी तबके का कोई भी नागरिक किफायती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा से वंचित न रह जाए। आने वाले 25 सालों में भारत दुनिया के लोगों के लिए स्वास्थ्य सुविधा का केंद्र बने, उस दिशा में भी हम ‘हील इन इंडिया’ और ‘हील बाइ इंडिया’ जैसे प्रभावशाली पहल पर काम कर रहे हैं।
‘स्वस्थ भारत’ केवल नारा नहीं बल्कि गरीबों के प्रति मोदी सरकार की प्रतिबद्धता और जिद है।
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