BUDAUN SHIKHAR
उ०प्र० –
रिपोर्ट -निलेश
उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षक भर्ती निकली थी जिसकी परीक्षा 6 जनवरी 2019 को हुई थी। सरकार ने पासिंग मार्क बाद में लगाया 60 65% उसको लेकर अभ्यर्थी और शिक्षामित्र कोर्ट पहुँचे जिसमें लखनऊ की सिंगल बेंच 40% 45% पर फैसला आया। सिंगल बेंच के फैसले को लेकर के सरकार ने डबल बेंच में चैलेंज किया जोकि अभी लखनऊ की डबल बेंच में सुनवाई चल रही है। सभी अभ्यर्थी कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे हैं मानसिक शोषण हो रहा है।
प्राथमिक शिक्षक भर्ती के लिए बीटीसी /डीएलएड कोर्स किया जाता है जिनकी संख्या अभी फिलहाल में लगभग आठ लाख है। सरकार ने प्राथमिक के लिए बीएड वालों को भी मान्य कर दिया है जिसे डीएलएड बालों में भी काफी रोष व्याप्त है उनका कहना है कि जब उत्तर प्रदेश में लगभग आठ लाख प्रशिक्षु बीटीसी ट्रेंड होने के बावजूद भी बीएड वालों को मौका दिया जा रहा है जबकि उनको 6 महीने का कोर्स अलग से कराया जाएगा। बीटीसी वालों का कहना है कि अन्य राज्यों में जैसे हिमाचल प्रदेश,हरियाणा, मणिपुर,सिक्किम,से प्राथमिक टेट में बीएड वालों को मौका नहीं दिया है। वहीं उत्तराखंड में बीटीसी वालों को प्रथम वरीयता है अभी फिलहाल में दिल्ली कैट (डवल बेंच) ने डी एस एस बी द्वारा प्राइमरी से बाहर करने का निर्णय सही ठहराया है। विगत महीनों में बीटीसी वालों ने धरना प्रदर्शन किया था समस्त जिलों में तथा एमएचआरडी का भी घेराव किया था सरकार ने उनकी बात नहीं सुनी।
उसके बाद टीम राजवसु यादव बी एड मुद्दे को लेकर के लखनऊ की डबल बेंच में पहुंची जो कि सरकार की स्पेशल अपील के साथ उनकी याचिका टेग है। उसका भी निस्तारण 69000 शिक्षक भर्ती के फैसले के साथ ही आएगा अभ्यर्थियों का कहना है की सरकार ने भारत के राजपत्र को तोड़ मरोड़ कर पेश किया है अन्य राज्यों से प्राथमिक में बी एड के एंट्री नहीं दी केवल यहां वोट बैंक की खातिर उनको शामिल किया गया है जबकि ट्रेंड बीटीसी अभ्यर्थी पर्याप्त मात्रा में मौजूद हैं सरकार के उलटफेर के कारण 69000 शिक्षक भर्ती फंसी हुई है जिससे अभ्यर्थियों का मानसिक शोषण हो रहा है। 69000 शिक्षक अभ्यर्थी और बीटीसी प्रशिक्षु कोर्ट के फैसले की राह देख रहे हैं जिनसे उनका मानसिक शोषण कम हो सके।
राजवसु यादव
बीटीसी लीडर उत्तर प्रदेश