पुवायां (शाहजहांपुर)। बंडा से छह किमी दूर खुटार रोड से डुडवा फार्म जाने वाले रास्ते पर सुनासिर नाथ मंदिर है। मान्यता है कि यहां श्रद्धालुओें की मनोकामना पूरी होती है। शिवरात्रि के पर्व पर बंडा से सुनासिर नाथ तक विशाल शिव बरात निकाली जाती है। कहा जाता है कि भगवान इंद्र ने यहां शिवलिंग की स्थापना की थी।
मंदिर के पुजारी रमेश गिरि ने बताया कि पौराणिक कथाओं के अनुसार गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या पर आसक्त होकर इंद्र ने ऋषि पत्नी से छल किया था। तब क्रोधित ऋषि ने अहिल्या को पत्थर की शिला हो जाने श्राप दे दिया था। ऋषि ने इंद्र को भी श्राप दे दिया था। मान्यता है कि इंद्र ने इसी स्थान पर तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न कर श्राप से मुक्ति को प्रार्थना की थी। तब भगवान शिव ने इंद्र को गोमती नदी के किनारे 101 स्थानों पर शिवलिंग स्थापित करने को कहा था। इससे उन्हें श्राप से मुक्ति मिल सके। बताते हैं कि इंद्र ने जिस स्थान पर भगवान शंकर को प्रसन्न किया, वहां पर उन्होंने भगवान शंकर, उनके बाईं तरफ माता पार्वती और उनकी गोद में बालरूप में भगवान गणेश जी की संयुक्त मूर्ति भी स्थापित की थी।
बताया जाता है कि किसी मुगल शासक ने यह मंदिर तुड़वा दिया और मूर्ति को उखड़वाने की कोशिश की। बताया जाता है कि हाथियों तक से जोर लगवाने के बाद भी मूर्ति टस से मस नहीं हो सकीं। तब मुगल शासक ने स्थान को अपवित्र करने के लिए यहां गाय का वध करा दिया। उसी समय यह मूर्ति यहां से स्वत: उखड़ कर लगभग एक किमी दूर गोमती नदी के बीचोंबीच धार में जाकर रुक गई। गोमती नदी भी अपनी धार बदलकर पास से बहने लगी। तब से दोनों स्थानों पर भगवान शंकर की सुनासिर नाथ नाम से पूजा की जाती है। मूर्ति के रुकने की जगह काठ का कुंड बनाकर पूजा-अर्चना की जाने लगी।
पुराना धूना तथा गद्दी स्थल ककईया ईंटों से निर्मित है। श्रद्धालु कुंड में फल, फूल, बेलपत्र और अन्य पूजा सामग्री चढ़ाते हैं। धूना स्थल से स्वत: ही भभूत निकलती है और यह कभी खाली नहीं होता। यहां रोजाना ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है।
संत गौरीशंकर सीताराम ने की थी तपस्या
वर्ष 1948 में बंडा के सुनासिर नाथ स्थान पर आए स्वामी गौरीशंकर सीताराम ने बंडा में शिव मंदिर का निर्माण कराकर भगवान शिव पार्वती की प्रतिमा की स्थापना की थी। सुनासिर नाथ इंटर कॉलेज का भी निर्माण कार्य कराया था। उन्होंने वर्षों तक गोमती नदी में खड़े होकर कठोर तप किया। तप के दौरान मछलियां उनके पैरों का मांस तक खा गई थीं। 2003 में वह ब्रह्मलीन हो गए।
महाशिवरात्रि पर निकलती है विशाल शिव बरात
महाशिवरात्रि के पर बंडा से सुनासिर तक विशाल शिव बरात निकाली जाती है। बरात में दो सौ से अधिक वाहन, कलाकारों के कई दल शामिल होकर कला का प्रदर्शन करते हैं। कई स्थानों पर मुस्लिम समुदाय के लोग भी शिव बरात में शामिल भक्तों को फल, पानी आदि वितरित करते हैं।