बरेली, (ब.शि.) : न्यायाधीश (दंड अधिकारी) शनिदेव की जयंती 10 जून को है। इस बार उनकी जयंती पर 148 वर्ष पूर्व का ही संयोग बन रहा है। ज्योतिष के मुताबिक 26 मई 1873 को शनि जयंती पर भी सूर्य ग्रहण हुआ था। ज्योतिषाचार्य पंडित मुकेश मिश्रा बताते हैं कि शनि इस समय अपने पिता सूर्य की चाल के कारण अपनी स्वयंराशि मकर में वक्री हैं। इस बार लगने वाला सूर्य ग्रहण मृगशिरा नक्षत्र और वृषभ राशि में लगेगा।मृगशिरा नक्षत्र का स्वामी मंगल ग्रह है और इस समय मकर राशि में वक्री शनि की पूर्ण दष्टि, मीन एवं कर्क राशि में स्थित मंगल पर पड़ रही है। इसके साथ ही मंगल की दृष्टि गुरु पर हैं और सूर्य-चंद्र, राहु एवं बुध की युति भी बनी हुई है, लेकिन भारत में सूर्य ग्रहण का कोई प्रभाव नहीं होगा इसलिए किसी भी राशि के जातक पर किसी भी प्रकार को कोई अशुभ असर नहीं देखने को मिलेगा।

कोरोना महामारी व राशियों पर होगा असर :

ज्योतिष में शनि को बीमारी, अस्पताल, मृत्यु आदि से भी जोड़ा गया है। 23 मई 2021 को शनि वक्री हो गए हैं। 10 जून का दिन भी महत्वपूर्ण है। अब संक्रमण में कुछ कमी दिखनी आरंभ हो जाएगी। मान्यता है वक्री होने से शनि कमजोर पड़ जाते हैं। शनि 141 दिन उल्टे चलेंगे। धनु, मकर और कुंभ वालों पर साढ़ेसाती चल रही है और मिथुन व तुला राशि पर शनि की ढैय्या चल रही है। 11 अक्टूबर 2021 से शनि मार्गी हो जाएंगे और 2023 तक मकर राशि में ही रहेंगे।

शनिदेव के प्रकोप से बचने के उपाय :

प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़े, छाया दान करें, कौवे को प्रतिदिन रोटी खिलाएं, दिव्यांगों और सफाईकर्मियों की सेवा करें, तिल, उड़द, भैंस, लोहा, तेल, काला वस्त्र, काली गौ और जूता दान देना चाहिए।

 

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