जिले की सभी सीएचसी, पीएचसी सिविल अस्पताल लिंजीगंज और डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय में बनाए गए ओआरएस एवं ज़िंक कोर्नर्स
• आशा गृह भ्रमण कर सिखा रहीं ओआरएस बनाने की विधि
फर्रूखाबाद 4 जून
बाल्यावस्था में पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में करीब 10 फीसदी मौत दस्त से होती है। इसका एकमात्र उपचार ओआरएस घोल एवं जिंक की गोली से किया जा सकता है। इसी से बाल मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है। जिसको लेकर डायरिया से बचाव एवं प्रबंधन के संबंध में हरेक वर्ष की भांति इस साल भी बच्चों में डायरिया की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए जनपद में 1 जून से सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा शुरू किया गया है। 15 जून तक चलने वाले इस पखवाड़े में आशा वर्कर घर-घर जाकर पांच वर्ष तक की उम्र के बच्चों की सूची तैयार कर रहीं हैं । ऐसे बच्चे जो दस्त से पीडि़त हैं, उन्हें चिन्हित कर उपचार दिलाने में मदद कर रहीं है।
इसी क्रम में जिले की सभी सीएचसी, पीएचसी, सिविल अस्पताल लिंजीगंज और डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय में ओआरएस जिंक कॉर्नर बनाए गए हैं जहां पर आने वाले रोगियों को डायरिया से किस तरह से निपटा जाए और अपने बच्चों को किस तरह से सुरक्षित रखा जाए जागरुक किया जा रहा है, साथ ही ओआरएस और जिंक की गोलियां भी वितरित की जा रहीं हैं l
इस संबंध में मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ दलवीर सिंह ने बताया कि भीषण गर्मी और रोज चढ़ते हुये पारे के साथ-साथ गर्मियों में होने वाली बीमारियों ने भी अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। डायरिया ऐसी ही एक बीमारी है जो पूरे देश में नवजात व बाल मृत्यु दर के प्रमुख कारणों में से एक है। इसको नियंत्रित करने के लिए जनपद सहित पूरे प्रदेश में 15 जून तक सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़े का संचालन किया जा रहा है।
सीएमओ ने बताया कि इस पखवाड़े का उद्देश्य ओआरएस और जिंक के उपयोग के प्रति जागरूकता को बढ़ावा देना मुख्य है। यदि किसी भी बच्चे को दस्त हो तो उसे ओआरएस का घोल बनाकर उसे तत्काल तरल पदार्थ दिया जाना चाहिए, साथ ही दस्त के दौरान जिंक गोली का उपयोग अवश्य किया जाए। उन्होने बताया कि दो माह से पाँच वर्ष तक के बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार कुल 14 दिनों तक खुराक देना चाहिए। जिसमें 2 से 6 माह तक के बच्चों को आधी गोली और 6 माह से 5 वर्ष तक के बच्चे को एक गोली जिंक की देना चाहिए।
सीएमओ ने बताया कि माताओं के साथ काउन्सलिंग की भी इस पखवाड़े में अहम भूमिका है जिसमें उन्हें स्तनपान, सही तरीके से हाथ धोने, साफ़-सफाई रखने, शौञ्च के लिये शौंचालय का प्रयोग करने आदि के बारे में बताया जा रहा है जिससे डायरिया से बचाव हो सके l
सीएमओ ने बताया कि जिले में 1501 आशा कार्यकर्त्ता ग्रामीण क्षेत्र और 77आशा शहरी क्षेत्रों में कार्यरत हैं जो अपने क्षेत्रों मे ओआरएस के पैकेट और जिंक की गोलियों का वितरण कर रहीं हैं l
इस दौरान सीएचसी कायमगंज के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ शिव प्रकाश ने बताया कि ओआरएस का घोल देने के साथ ही डायरिया से पीड़ित बच्चे को नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र पर आवश्य ले जाएं। बीमारी के दौरान बच्चे को उसकी आयु के अनुसार स्तनपान एवं ऊपरी आहार तथा भोजन अवश्य दें। बाल्यावस्था में दस्त के दौरान बच्चे को पीने के लिए स्वच्छ पेयजल ही दिया जाए, ध्यान रहे खाना बनाने से पूर्व व बच्चे का मल साफ करने के पश्चात महिलाओं को साबुन से अपना हाथ अवश्य धो लेना चाहिए। वहीं शौच के लिए शौचालय का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। यदि बच्चे को पानी जैसा लगातार मल हो बार बार उल्टी हो, अत्यधिक प्यास लगे, पानी न पी पाएं बुखार हो और मल में खून आ रहा हो तो उसे तत्काल स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाना चाहिए। इसका इलाज सीएचसी पर निःशुल्क उपलब्ध है।
सीएचसी कायमगंज के बीसीपीएम विनय मिश्र ने बताया की इसके लिये आशाएँ अपने अपने क्षेत्र में बच्चों को चिन्हित करने का कम कर रहीं है और गृह भ्रमण कर ओआरएस बनाने की विधि का प्रदर्शन भी करके बता रहीं हैं | उन्होंने बताया कि आशा सामान्य डायरिया का इलाज करने के अलावा गंभीर केस को रेफर करेंगी जिससे पीएचसी व सीएचसी पर उनका सही उपचार हो सकें |