BUDAUN SHIKHAR
लखनऊ
2 जून लखनऊ लगातार UPPCL के अनुभवहीन व अवैध रूप से नियुक्त बड़ेबाबू के भ्रष्टाचार की पोल खोलने वाली इस बेबाक कलम से लिखी हर कहानी सच होती नजर आ रही है क्यो कि UPPCL के अनुभवहीन मुखियाओं द्वारा विभाग को पूरी तरह निजीकरण करने और विभाग को पूर्ण रूप से हर कीमत पर तबाहो बरबाद करने की दिशा मे उल्टे सीधे फरमान जारी कर अपने मातहतो को डिप्रेशन मे ले जाने मे कोई कोर कसर नही छोड़ रखी है जिसका जीता जागता उदाहरण पहले तो मुख्य अभियन्ता हाईडिल एस एन दीक्षित की ह्रदयधात से दिसंबर के महीने मे मृत्यु और आज सुबह-सुबह लखनऊ के एक निजी हॉस्पिटल मिडलैड मे दिल के दौरे से अकस्मात इंजीनियर एस पी पाण्डेय निदेशक कार्य प्रशासन की मौत और नाजाने यह अनुभव हीन बडे बाबुओं की टोली कितनो को मौत की नींद सुनाएगी ।
अपनी असफलताओं को दूसरे के ऊपर डालने मे माहिर इस जोडी को जब uppcl का कार्यभार सौपा गया तो इन को सहयोग देने वालो में पाण्डे जी की अहम भूमिका रही सूत्र बताते है कि उनके द्वारा ही काम काज समझाने का नतीजा यह हुआ है कि रोजाना किसी ना किसी बात को लेकर इनकी बेज्जती होती रही और तो और इनको एक कठोर चेतावनी भी प्रबंध निदेशिका महोदया के निर्देश पर द्वारा पाण्डेय जी के ही नीचे कार्यरत एक अधिकारी के हस्ताक्षर से दी गयी थी और दूसरी तरफ प्रताडना से दुखी हो निदेशक वित्त ने भी कुछ माह पूर्व अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था जिसको प्रबंधन ने अस्वीकार कर दिया था और वह दबी जुबान मे यह सब बातो की चर्चा निराला नगर कालोनी मे स्थित स्वर्गीय इन्जीनियर एस०पी पाण्डेय डायरेक्टर कार्य प्रशासन UPPCL के आवास पर जमा भीड़ मे साफ तौर पर देखी और सुनने को मिल रही थी हमेशा से हंसमुख मृदुभाषी एवं सहयोगी स्वभाव से लोकप्रिय बना कर रहने वाले एस०पी पाण्डेय जी अब नही रहे अपनी निष्ठा से UPPCL की तमाम जिम्मेदार पदो पर सेवा देते हुए कार्यमुक्त होने के मात्र चंद दिनो पूर्व 2 जुलाई को ह्र्दयधात के कारण उनका स्वर्गवास हो गया अपने लोकप्रिय अधिकारी के आकस्मिक निधन से पूरे UPPCL मे शोक की लहर दौड़ पड़ी और उनके निराला नगर आवास पर उन्हे चाहने वालों का सुबह से ही ताता लगा रहा पर उसी जमा भीड़ मे एक आवाज हर तीसरे विभागीय अधिकारियों के जुबा पे सुनी गयीं कि विभाग के अनुभवहीन बड़ेबाबू की जोडी के तुगलकी फरमान और तानाशाही कार्यप्रणाली ने पाण्डे जी को इस हालत तक पहुचा दिया । सूत्रो की खबरो के अनुसार लगातार विभाग को चलाने वाले बड़े बाबुओ ने विभाग के लोकप्रिय डायरेक्टर प्रशासन पर इतना दबाव बनाया की अपनी जिम्मेदारियों को निष्ठा से निभाने मे उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पड़ा जिसे ले कर एक तरफ अपने लोकप्रिय अधिकारी को खोने पर आँखे नम है तो दूसरी तरफ UPPCL की इस कातिल जोडी के प्रति अभियन्ताओ और कर्मचारीयो आक्रोश साफ तौर पर देखा जा सकता है ।