बदायूँ शिखर सम्वाददाता

एटा । भूलेखाधिकारी/अपर जिलाधिकारी प्रशासन ने बताया है कि वर्तमान में धान की कटाई तीव्र गति से चल रही है, इसके साथ ही कतिपय जनपदों में धान की पराली जलने की घटनायें भी हो रही हैं। दिनांक 12.11.2021 तक सैटेलाइट इमेजरी से प्राप्त पराली एवं अन्य अवशेषों के जलने की घटनाओं से विदित हुआ है कि प्रदेश में 2237 घटनायें प्रकाश में आयी हैं। प्रदूषण नियंत्रण हेतु पराली प्रबन्धन शासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। फलस्वरूप ऐसी, घटनाओं को रोकना अत्यावश्यक है। जनपद में धान की कटाई के दृष्टिगत विशेष सतर्कता की आवश्यता है।

उन्होनें उक्त के संबंध में उपजिलाधिकारी एवं तहसीलदार एटा, अलीगंज तथा जलेसर को निर्देशित किया है कि शासन द्वारा पूर्व में निर्गत निर्देशों के क्रम में अपने स्तर से धान की कटाई कम्बाइन हार्वेस्टर से करते समय सुपर एस0एम0एस0 का प्रयोग किया जाये। सुपर एम0एसएस0 न होने की स्थिति में फसल अवशेष प्रबन्धन के अन्य यंत्रों जैसे-मल्चर, स्ट्रा, चापर, श्रेडर, सुपर सीडर इत्यादि यंत्रों को उपयोग कर खेत में ही पराली प्रबन्धन किया जाये। कृषि विभाग द्वारा कृषकों को जागरूक करने हेतु व्यापक प्रचार-प्रसार कार्यक्रम चलाया जा रहा हैं। कृषकों एवं जन प्रतिनिधियों से संवाद स्थापित कर उन्हें पराली जलाने से हो रहे पर्यावरण के नुक्सान के अवगत कराते हुये पराली न जलाने हेतु जागरूक किया जाये। इस हेतु व्यापक मुनादी, पोस्टर/बैनर/वाल राइटिंग/होर्डिग्स इत्यादि सम्मिलित हों। कृषि विभाग द्वारा कृषकों के मध्य बायों डिकम्पोजर का वितरण निःशुल्क कराया जा रहा है। जिसके अन्तर्गत निर्धारित लक्ष्यों के सापेक्ष बायो डिकम्पोजर का वितरण कृषकों के मध्य जिसके अन्तर्गत निर्धारित लक्ष्यों के सापेक्ष बायो डिकम्पोजर का वितरण कृषकों के मध्य सुनिश्चित कराकर फसल अवशेष को खेत में ही गलाकर प्रबन्धन की व्यवस्था सुनिश्चित की जाये।

कृषकों को फसल अवशेष प्रबन्धन योजनान्तर्गत अनुदान पर कृषि यंत्र उपलब्ध कराये जा रहे हैं, जिसके लिये विभागीय पोर्टल पर कृषकों द्वारा की गयी बुकिंग के आधार पर कृषकों को यंत्र क्रय कराया जाना एवं उनका अधिक से अधिक उपयोग सुनिश्चित कराया जाये। कृषकों को इन यंत्रों के उपयोग हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम व्याप रूप से संचालित हो तथा इस हेतु कृषि विज्ञान केन्द्र का भी सहयोग लिया जाये। शासन द्वारा पूर्व में निर्गत निर्देशानुसार निराश्रित गौ आश्रय स्थलों पर पराली पहुंचाने में और तेजी लायी जाये। मनरेगा के कन्वर्जेन्स से सामूहिक कम्पोस्ट गड्ढे खुदवा कर पराली प्रबन्धन सुनिश्चित किया जाये। अपने अधीनस्थ समस्त कर्मचारियों द्वारा ग्राम पंचायत/विकास खण्डवार दायित्व सौंपते हुये फसल अवषेष जलने की घटनाओं पर नियंत्रण रखना सुनिश्चित किया जाये। आई0सी0ए0आर0 से प्राप्त फसल अवशेष जलने की बुलेटिन से प्राप्त प्रत्येक दिवस की घटनाओं का 12 घण्टे के अन्दर स्थलीय कराते हुये सूचना निर्धारित प्रारूप पर इस कार्यालय को प्रेषित किया जाना सुनिश्चित करें।

उन्होनेें कहा कि शासन द्वारा वर्णित उपरोक्त बिन्दुओं के संबंध में कढाई से अनुपालन कराना सुनिश्चित करें, जिससे जनपद में फलस अवशेष/पराली जलाये जाने की एक भी घटना घटित न होने पाये तथा पर्यावरण प्रदूषक पर नियंत्रण रखा जा सके।

 

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