निचली अदालत के फैसले में हस्तक्षेप से इंकार, एटा नगर कोतवाली में दर्ज कराया गया था केस
मिरहची: इलाहबाद हाईकोर्ट ने सामूहिक दुष्कर्म से जुड़े 21 वर्ष पुराने मामले में उन्नाव से भाजपा सांसद स्वामी सच्चिदानंद उर्फ साक्षी महाराज एवं तीन आरोपियों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने महिला का अपहरण कर उसके साथ लगातार नौ दिनों तक सामूहिक दुष्कर्म करने के आरोपों से मुक्त करने संबंधी निचली अदालत के आदेश पर हस्तक्षेप से इंकार कर दिया है। आरोप मुक्त करने संबंधी आदेश की वैधता को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की आपराधिक पुनरीक्षण याचिका 14-03-2022 को सुनवाई के दौरान खारिज कर दी है। उपरोक्त आदेश न्यायमूर्ति शमीम अहमद ने दिया है।
याचिका पर राज्य सरकार की तरफ से अपर शासकीय अधिवक्ता प्रथम अभिषेक शुक्ला और और विपक्ष साक्षी महाराज और अन्य की तरफ से विद्धान युवा अधिवक्ता विपिन कुमार ने बहस की। कोतवाली नगर, एटा में इस मामले की एफआईआर दर्ज कराई गई थी। एक महिला ने साक्षी महाराज और उनके साथियों व गार्ड सहित मेडीकल क्लीनिक से उसका अपहरण कर सामूहिक दुष्कर्म का आरोप लगाया था। उसने यह आरोप भी लगाया था कि उदयपुर आश्रम में उस पर जानलेवा हमला भी किया गया था। लगातार नौ दिनों तक दुष्कर्म करने के बाद इकरारनामे पर जबरदस्ती से हस्ताक्षर भी कराये गये थे। पुलिस ने मामले में गहनता से साक्ष्य एकत्रित कर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। साक्षी महाराज और अन्य आरोपियों ने स्वयं को आरोप मुक्त करने की अर्जी कोर्ट को दी गई। और कहा गया कि सभी को झूंठा फंसाया गया है। पीडिता ने भी हलफनामा दाखिल कर अपने कोर्ट में दिये गये बयान को सही नहीं माना। जनपद फिरोजाबाद के टूण्डला क्षेत्राधिकारी द्वारा की गई विवेचना में महिला द्वारा लगाये गये आरोप सही नहीं मिले। विशेष अदालत एटा ने गत 26 नवंबर, 2001 को सभी आरोपियों को आरोप मुक्त कर दिया। इसके खिलाफ राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। सरकारी वकील का मानना था कि पीड़िता का हलफनामा उसके बयान का विरोधाभासी है। संभव है कि दबाव डालकर उससे हलफनामा दिलाया गया हो। अधीनस्थ अदालत ने साक्ष्यों पर सही ढंग से विचार नहीं किया। कोर्ट ने कहा कि दुष्कर्म के आरोप पर मेडीकल जांच का साक्ष्य नहीं है।