जिला सम्वाददाता

कासगंज: स्वास्थ्य विभाग ने बदलते मौसम में डेंगू, वायरल फीवर, मलेरिया, चिकनगुनिया, स्क्रब टाइफस, कोरोना और लेस्टोस्पाइरोसिस का अलर्ट जारी किया है। यह बैक्टीरियल और वायरल इन्फेक्शन की बीमारी हैं। इनके लक्षण लगभग एक जैसे हैं। सावधानी बरतने से इनका खतरा काफी कम हो सकता है। स्वास्थ्य विभाग ने इसके लिये गाइड लाइन जारी की है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा0 अनिल कुमार कासगंज ने बताया कि घर में कूलर की टंकी से पानी खाली कर दें। साफ सफाई बरतें और मच्छर नहीं पनपने दें। दिन रात पूरी आस्तीन के कपड़े पहनकर रखें। बुखार आता है तो चिकित्सक को दिखाकर जांच करायें।

– इन बीमारियों का है खतरा –

वायरल फीवर – बुखार लगातार बढ़ता है। गले में खराश, जुकाम रहता है। सिर और शरीर में दर्द होता है। आंखें लाल रहती हैं। मरीज बेचैनी महसूस करता है। इलाज से सात से दस दिन में ठीक होता है। बरसात के दौरान वातावरण में नमी से यह अधिक फैलता है।

मलेरिया – सर्दी के साथ तेज बुखार आता है। मरीज को लगातार बुखार नहीं रहता है। 24 से 36 घंटे बाद पसीना आकर फिर से दोबारा बुखार आ जाता है। उल्टी होती हैं और मरीज का जी मिचलाता है। कमजोरी और शरीर में ऐंठन रहती है।

डेंगू – तेज बुखार आता है सिर में दर्द रहता है। शरीर पर लाल चकत्ते पड़ जाते हैं। मांसपेशियों और जोड़ों में तेज दर्द रहता है। गंभीर हालत में मरीज के नाम, मुंह से रक्त आने लगता है। मरीज सदमें में भी चला जाता है। उल्टी होती है भूख नहीं लगती है।

चिकनगुनिया – बुखार रहता है, जोडों में दर्द उभरता है। मांसपेशियों दर्द करती हैं। थकान कमजोरी रहती है। शरीर पर लाल दाने उभर आते हैं। ठीक होने पर भी मरीज को लंबे समय तक जोडों में दर्द बना रहता है।

स्क्रब टाइफस – बुखार खंासी, सिर दर्द होता है। सांस फूलती है, उल्टी होती है। मांसपेसियों दर्द करती हैं। लाल चकत्ते होते हैं। चूहे, छछूंदर, गिलहरी सहित पशुओं के शरीर पर पिस्सु के काटने से यह बीमारी होती है। इनकी लार में ओरियंटा सुसुगमुसी बैक्टीरिया इसकी बजह है। सात से 10 दिन में लक्षण पनपते हैं।

लेस्टोस्पाइरोसिस – बुखार के साथ सिर में दर्द रहता है। मांसपेशियों में दर्द रहता है। पशुओं पर रहने वाले परजीवी में लेप्टोस्पाइरा इंटेराकगंस बैक्टीरिया से यह बीमारी होती है। पशुओं के मूत्र के जरिये जमीन पर पहुुंचता है, खुले में शौच करने से लोग संक्रमित हो जाते हैं। 15 से 20 दिन में लक्षण दिखने लगते हैं।

कोरोना बायरस – बुखार के साथ जुकाम खांसी रहना, छाती में जकड़न होना, सांस फूलना, गले में खराश की शिकायत, सांस लेने में परेशानी होना, सिरदर्द होना, स्वाद और गंध न आना, आक्सीजन का स्तर कम होते जाना।

– मच्छर जो फैला रहे बीमारी –

क्यूलेक्स मच्छर – इस मच्छर के काटने से फाइलेरिया होता है, यह बीमारी तराई क्षेत्रों में मिलती है। यह अंधेरे, नाली में रहता है। काटने से खुजली होती है।

एडीज एजिप्टी – इसके काटने से डेंगू-चिकनगुनिया होता है। यह चार-पांच फीट ऊंचाई तक उड़ता है, यह मच्छर दिन में काटता है। यह साफ पानी में पनपता है।

एनाफिलीज – इस मच्छर की 400 से अधिक प्रजातियांँ हैं। इसके काटने से मलेरिया होता है। यह साफ और रूके हुये पानी में पैदा होता है। यह रात को काटता है।

– ये बरतें सावधानियाँ –

ऽ नालियों की सफाई रखें, जलभराव न होने दें। अगर ऐसा है तो उसमें मिट्टी का तेल छिड़क दें।

ऽ रात में खुले में न सोऐं, पानी उबालकर पियें, गुनगुना पानी पियें।

ऽ कूलर की टंकी से पानी खाली कर दें। घर में रसोई, बाथरूम में पानी को ढककर रखें।

ऽ दिन और रात में पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें, पैर-हाथ ढके रहें।

ऽ रात में सोते वक्त भी पूरी आस्तीन के कपड़े पहनकर रखें, बच्चों पर विशेष ध्यान दें।

ऽ दाल, हरी सब्जी समेत पौष्टिक भोजन करें। रेफ्रिजरेटर मंे रखी खाद्य सामग्री से बचें।

ऽ रेफ्रिजरेटर का ठंडा पानी न पियें।

ऽ जल भराव होने पर छिड़काव के लिये नगर पालिका और स्वास्थ्य विभाग को जानकारी दें। किसी भी आकस्मिक समस्या के लिये कन्ट्रोल रूम के नम्बर – 8445154808 पर सम्पर्क कर सकते हैं।

 

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