राष्ट्रीय सम्मेलन ऑफलाइन और ऑनलाइन का आयोजन किया गया।
30 मई, 2022 सोमवार को सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान के तहत के ए कॉलेज, कासगंज के शारीरिक शिक्षा एवं खेलकूद विभाग द्वारा सड़क सुरक्षा: जीवन रक्षा विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन ऑफलाइन और ऑनलाइन एक दिवसीय दोनों तरीके से आयोजित किया गया।
राष्ट्रीय सम्मेलन- सड़क सुरक्षा जीवन: रक्षा आयोजन समिति के सचिव डॉ प्रवीण कुमार सिंह जादौन ने बताया कि इसराष्ट्रीय सम्मेलन में 778 लोगों ने भाग लिया। जिनमें पूरे देश के लगभग 20 राज्यों के शिक्षक, शोधार्थी, छात्र, छात्राएं, अभिभावक आदि ने भाग लिया। राष्ट्रीय सम्मेलन प्रतिभागियों के प्रमाण पत्र जल्दी ही उनकी ईमेल पर भेज दिए जाएंगे।
राष्ट्रीय सम्मेलन के कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉक्टर राधाकृष्ण दीक्षित में सभी अतिथियों का परिचय कराया। तत्पश्चात राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं प्राचार्य प्रोफेसर अशोक कुमार जी ने सभी अतिथियों, वक्ताओं, शोधार्थियों, विद्यार्थियों श्रोताओं का स्वागत किया।
राष्ट्रीय सम्मेलन में मुख्य वक्ता शहीद नंदलाल पटेल विश्वविद्यालय, रायगढ़ छत्तीसगढ़ की *डॉ हरप्रीत कौर अरोड़ा* ने कहा कि यदि यह आंकलन किया जाए कि सड़क के नियमों को पुरुष अधिक तोड़ते हैं या महिलाएं ,तो यह ध्यान में आएगा कि महिलाओं का जागरूक होना बहुत आवश्यक है। महिलाएं शौक में वाहन चलाती हैं ।उन्हें ट्रैफिक के नियमों का पता नहीं होता, ऐसा सभी महिलाओं के संबंध में नहीं है। डॉ हरप्रीत ने आगे कहा कि 1988 में हेलमेट रेगुलेशन एक्ट बना । बाइक पर ड्राइव करने वाले व्यक्ति तो हेलमेट लगा लेता है, लेकिन उसके पीछे बैठी हुई महिला हेलमेट नहीं लगाती। कभी-कभी बच्चे भी जब बाइक पर होते हैं, तो बच्चे बिना हेलमेट के और असुरक्षित होते हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग मनोरंजन की दृष्टि से सड़कों के नियमों को जानना चाहते हैं, वे सीएम भगत मूवी जरूर देखें ।उन्होंने कहा कि
*मत करो इतनी मस्ती*
*जिंदगी नहीं है सस्ती*
सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान के राष्ट्रीय सम्मेलन में बोलते हुए कासगंज जनपद के आरटीओ *राजेश राजपूत* ने कहा कि गाड़ी चलाते समय ड्राइवर कभी-कभी हिप्नोटिस्ट हो जाता है अर्थात उसकी आंखें खुली रहती है और उसका ब्रेन शून्य हो जाता है । वह गाड़ी चलाता रहता है, लेकिन उसे ध्यान नहीं रहता और एक्सीडेंट हो जाता है। ज्यादा अच्छा यह रहेगा कि हम 2 या 3 घंटे गाड़ी चला कर रुक जाएं, चाय या कॉफी लें, फ्रेश हो जाएं, आंखों का व्यायाम करें, फ्रेश एयर लें और उसके बाद गाड़ी चलाएं । लंबे रूट पर हम इस प्रक्रिया को अपनाते रहे। उन्होंने कहा कि दुर्घटना का पहला एक घंटा स्वर्ण घंटा होता है। यदि दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को 1 घंटे के अंदर अस्पताल पहुंचा दिया जाए तो उसके बचने की संभावनाएं 50% से अधिक होती हैं और ऐसे पहुंचाने वाले व्यक्ति को नेक व्यक्ति कहा जाता है ।पहले इसको लेकर काफी पूछताछ होती थी। लेकिन अब यह नियम बना दिया गया है कि जो भी व्यक्ति दुर्घटनाग्रस्त लोगों को अस्पताल पहुंचायेगा उसे ₹5000 इनाम दिया जाएगा और राष्ट्रीय स्तर पर ऐसे लोगों को ₹100000 तक के नाम की व्यवस्था है । उन्होंने कहा की रोड एक्सीडेंट के सबसे बड़े कारण नींद है, थकान है, खराब मौसम है, नशा है, और आंखों से कम देखना है। ऐसी घटनाएं हैं जिनमें तेजी से वाहन चलाना और लापरवाही दुर्घटनाओं का कारण बनती है। उन्होंने सभी लोगों को जागरूक करते हुए कहा कि वाहन चलाते समय हमें सभी बातों का ध्यान रखकर वाहन चलाना होगा। यह ध्यान रखना है कि आपके बच्चे आपके घर पर आपकी प्रतीक्षा कर रहे हैं।
राष्ट्रीय सम्मेलन का संचालन राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजन समिति के संयोजक डॉ० राधाकृष्ण दीक्षित ने किया। सह संचालन डॉ मिथलेश कुमारी वर्मा ने किया ।
कार्यक्रम के अंत में राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं प्राचार्य प्रोफेसर अशोक रस्तोगी ने सभी को धन्यवाद देते हुए कहा कि के ए पीजी कॉलेज कासगंज सदैव इस प्रकार की गतिविधियों में नहीं रहता है उन्होंने कहा कि हमने 19 दिन से लगातार सड़क जागरूकता को लेकर अनेक कार्यक्रम आयोजित किए हैं। उन्होंने कार्यक्रम में सहभागिता करने वाले सभी अतिथियों एवं विद्यार्थी तथा नागरिकों का आभार व्यक्त किया।
अंत में राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजन समिति की संयोजिका डॉ मिथिलेश वर्मा संयोजक एम राठी ने सभी का औपचारिक धन्यवाद किया।
डॉ प्रवीण कुमार सिंह जादौन
सचिव, आयोजन समिति एवं
सभी तकनीकी सहायकों को प्राचार्य ने आभार व्यक्त किया।
डॉ प्रवीण कुमार सिंह जादौन
आयोजन सचिव