कासगंज (28 जन०) गत दिवस निर्झर साहित्यिक संस्था के तत्वावधान में माता सरस्वती के प्राकट्य दिवस एवं आधुनिक हिन्दी कविता के शिखर पुरुष सुकवि सूर्य कांत त्रिपाठी ‘निराला’ जी की जयंती के सुअवसर पर एक काव्य- संगोष्ठी का आयोजन संस्था सचिव अखिलेश सक्सेना के निवास पर किया गया |
प्रारंभ में कार्यक्रम अध्यक्ष डा० अखिलेश चन्द्र गौड़, मुख्य अतिथि एडवोकेट राकेश बिड़ला, विशिष्ट अतिथि सतीश चन्द्र माहेश्वरी ने मां सरस्वती एवं निराला जी के चित्रों पर माल्यार्पण किया तथा पूजा- अर्चन कर दीप प्रज्ज्वलित करके, संगोष्ठी का शुभारंभ किया सर्वप्रथम डा० अखिलेश चन्द्र गौड़ ने मां सरस्वती की वंदना प्रस्तुत की, “भारती वागेश्वरी श्वेतांबर मां शारदे”तत्पश्चात ओज कवि मनोज ‘मंजुल’ ने पढा़, ” ऋतुराज बसंत पर्व ऋतुओं में सिरमौर.. ” दीपक सक्सेना ने पढा़, “तुम चलो गर साथ तो ये चल पडे़गी जिंदगी” मनोज शर्मा ‘शलभ’ ने पढा़, ” बारूद से भगत ने जबाब लिख दिया, जेल की दीवारों पर हिसाब लिख दिया ” वयोवृद्ध कवि सुरेश चन्द्र सक्सेना ने पढा़, ” स्वर्ग से बढ़कर धरा पावन भारत मेरा महान ” कार्यक्रम को संचालित कर रहे अखिलेश सक्सेना ने पढा़,” मैं तुझसे मांगता हूँ माँ मुझे स्वर गान दे देना, कलम अब हाथ गहरी है तो अक्षर ज्ञान दे देना ” देवेन्द्र शर्मा भ्रमर ने पढा़,” हुए वृद्ध भी अब युवा,आया देख बसंत ” कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डा० अखिलेश चन्द्र गौड़ ने बहुत भावपूर्ण गीत पढा़, “राही हूँ कठिन रास्तों का , रोको मत मुझको जाने दो, इस मोक्षदायिनी गंगा के तट पर इक दीप जलाने दो” जिसे लोगों ने खूब सराहा | कार्यक्रम में के. के. सक्सेना, प्रशांत सक्सेना, आदर्श सक्सेना एडवोकेट, आलोक सक्सेना आदि उपस्थित रहे| समापन पर संयोजक अखिलेश सक्सेना ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया!