कासगंज: मुख्य विकास अधिकारी सचिन की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में किसान दिवस/फसल अवशेष प्रबंधन कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस मंे किसानों, कृषि और पशुपालन आदि से सम्बंधित समस्याओं के निराकरण पर विचार विमर्श कर वैज्ञानिक जानकारियां दी गईं। अधिकारियों द्वारा योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया।
मुख्य विकास अधिकारी ने कहा कि बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिये किसी भी दशा में किसान खेतों में पराली न जलायें। कृषि वैज्ञानिकों से जानकारी लेकर पराली को पशुओं के खिलाने योग्य चारा बनायें अथवा इसे डि-कम्पोज्ड का प्रयोग करते हुये खाद बनायें। मानव जीवन को वायु प्रदूषण से बचाने के लिये सभी किसान इसमें पूर्ण सहयोग करें। अवशेष गन्ना भुगतान के सम्बंध मंे मुख्य विकास अधिकारी ने बताया कि गन्ना किसानों को शीघ्र भुगतान कराने के पूरे प्रयास किये जा रहे हैं।
कृषि विज्ञान केन्द्र मोहनपुरा के कृषि वैज्ञानिक बृजविकास सिंह ने बताया कि पराली से पशुओं का चारा इस प्रकार बनायें कि 100 कि0ग्रा0 पराली को पशुओं के खिलाने योग्य बनाने के लिये अधिकतम 2.500 कि0ग्रा0 से 03 कि0ग्रा0 तक यूरिया लेकर 20 लीटर पानी में घोलना है। 100 कि0ग्रा0 क्षमता के एक एअरटाइट बैग में पहले 10 किलो कुटी हुई पुआल पर 02 लीटर घोल का छिड़काव करें, पुनः इसी प्रकार प्रत्येक 10 किलो पुआल पर घोल डालकर एअरटाइट बैग में रखना है, 30 दिन बाद यह पुआल पशुओं के खिलाने योग्य हो जायेगा। साथ में पूर्व में दिया जा रहा आहार भी दें। कोई जिज्ञासा हो तो उनके मोबा0 नं0 9045432191 पर संपर्क कर सकते हैं।
किसान दिवस में मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा0 एके सागर ने बताया कि जिले में 94 प्रतिशत पशुओं का लम्पी वायरस प्रतिरोधक टीका, गर्भधारित पशुओं को छोड़कर, लगाया जा चुका है। यदि पशु संक्रमित हैं तो तुरंत पशु चिकित्सालय ले जायें, समस्त दवायें निःशुल्क उपलब्ध हैं। लंपी संक्रमण होने पर आयुर्वेदिक दवा 50 ग्राम हल्दी पिसी हुई, सूखा आंवला 50 ग्राम, काली जीरी 50 ग्राम तथा सूखी मेंहदी 50 ग्राम पीसकर 05 पुड़ियां बना लें। एक पुड़िया रोज गुड़ के साथ संक्रमित पशु को दें। उन्होंने कहा कि जो किसान हरा चारा बोने के इच्छुक हों तो पशु चिकित्सालयों से निर्धारित दर पर बीज क्रय कर सकते हैं। जिला कृषि अधिकारी सुमित कुमार चौहान द्वारा बैठक में उन्नतशील बीजों और उर्वरकों की जिले में उपलब्धता तथा सरसों की फसल और पराली प्रबंधन की जानकारी दी गई।
इस अवसर पर उद्यान, गन्ना, सहकारिता, लघु सिंचाई, सिंचाई, विद्युत, नलकूप एवं कृषि से सम्बंधित विभागों के अधिकारी, कृषि वैज्ञानिक एवं काफी संख्या में किसान प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
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