कासगंज। निर्झर साहित्यिक संस्था, कासगंज द्वारा आधुनिक हिन्दी खडी़ बोली के जनक ‘भारतेन्दु हरिश्चन्द्र’ की 172 वीं जयन्ती के अवसर पर *”हिन्दी भाषा की समृद्धि में भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जी का योगदान*” विषय पर केन्द्रित एक अन्तर्राज्यीय आनलाइन विचार- संगोष्ठी आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता ‘निर्झर’ के वरिष्ठ संरक्षक डा० अखिलेश चन्द्र गौड़ ने की, वहीं मुख्य अतिथि के रूप में हाथरस के पी०सी० बाग्ला पी०जी० कालेज के एसोसिएट प्रोफेसर डा० राजेश कुमार, तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में अम्बाला से आत्मानंद जैन माडल स्कूल की पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष डा० किरण जैन ,जपला- पलामू ( झारखंड) के, ए०के० सिंह कालेज के हिन्दी विभागाध्यक्ष डा० आलोक रंजन कुमार, हिन्दू इंटर कालेज के प्रधानाचार्य डा० दिनेश कुमार शर्मा, सम्माननीय वक्ता डा० श्रीमती विद्युत लता कुलश्रेष्ठ पूर्व एसोसिएट प्रोफेसर श्रीमती शारदा जौहरी महाविद्यालय कासगंज, संस्थाध्यक्ष डा० रामप्रकाश ‘पथिक’, संस्था निदेशक डा० विमलेश अवस्थी, छतरपुर से डा० ऊषा अग्रवाल, डा० जंगबहादुर पाण्डेय (रांची), डा० प्रतिभा पाराशर वैशाली से, डा० चुन्नन कुमारी(पटना) आदि विद्वानों ने आनलाइन जुड़कर निर्धारित विषय पर सारगर्भित वक्तव्य दिया!
कार्यक्रम के प्रारम्भ में डा० अखिलेश चन्द्र गौड़ ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर, दीप प्रज्ज्वलित किया, तदोपरांत अखिलेश सक्सेना द्वारा अतिथियों का परिचय दिया गया, तत्पश्चात डा० गौड़ ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत कर कार्यक्रम का विधिवत् शुभारंभ किया | प्रथम वक्ता के रूप में मुख्य- अतिथि डा० राजेश कुमार ने कहा,”भारतेन्दु हिन्दी नवजागरण के अग्रदूत थे, उन्होंने हिन्द और हिन्दी के उत्थान हेतु अपनी प्रतिभा से उद्योगशीलता के नए आयाम स्थापित किए, जीवन के विस्तृत और विराट तत्वों की संकल्पना करते हुए उन्होंने अपनी विजिगीषु वृत्ति से साक्षात्कार कराया, आज हिन्दी जिस रूप में आगे बढ़ रही है,उसका श्रेय भारतेन्दु को जाता है!” विशिष्ट अतिथि डा० दिनेश कुमार शर्मा ने कहा,”आधुनिक हिंदी गद्य साहित्य में नवजागरण के अग्रदूत रहे भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने अपने साहित्य के माध्यम से जनता की चेतना को उद्बुद्ध किया|भारतेन्दु ऐसे युग में भारतीय साहित्याकाश के ‘इन्दु’ बनकर उदित हुए, जब प्रायः हर क्षेत्र में युगांतरकारी परिवर्तन हो रहे थे, गद्य साहित्य का कोई अंग आपसे अछूता नहीं रहा, हिन्दी साहित्य को भव्यता प्रदान करने के लिए आपका नाम अविस्मरणीय रहेगा|” इसी क्रम में डा० किरण जैन ने कहा, ” भारत में अंग्रेजों के आधिपत्य के साथ ही हिन्दी की दुर्दशा प्रारंभ हो गई थी, ऐसे में हिन्दी को एक ऐसे दृढ़ आत्मविश्वासी कुशल नेतृत्व की आवश्यकता थी जिसमें युग परिवर्तन की क्षमता हो , साथ ही मातृभाषा की रक्षा के लिए सर्वस्व अर्पण करने में भी संकोच न करे | ऐसे संक्रांति काल में भारत- भूमि में भारतेन्दु की अवधारणा हुई | इनकी प्रतिभा से हिन्दी भाषा व हिन्दी साहित्य उपकृत हुआ | ” डा० विद्युत लता कुलश्रेष्ठ ने कहा, “आधुनिक हिंदी खडी़ बोली के प्रवर्तक भारतेन्दु हरिश्चन्द्र एक असाधारण प्रतिभा सम्पन्न साहित्यकार थे, उस समय हिन्दी गद्य का कोई निश्चित रूप व निश्चित भाषा संरचना नहीं थी, हिन्दी गद्य में संस्कृत निष्ठ तत्सम व उर्दू-अरबी शब्दों की अधिकता थी, भारतेन्दु ने सामान्य बोल- चाल के शब्दों का प्रयोग करके भाषा के नवीन रूप का बीजारोपण किया, उनके युग को ‘भारतेन्दु युग’ के नाम से जाना जाता है |” कार्यक्रम संयोजक व संचालक अखिलेश सक्सेना ने कहा, “वर्तमान में हिन्दी अपने बेहतर रूप में प्रचलित है, भारतेन्दु हरिश्चन्द्र से पूर्व हिन्दी की अवश्य दुर्दशा रही, लेकिन उनके अदम्य प्रयासों से हिन्दी उत्तरोत्तर विकास के श्रेष्ठ आयाम तय करती हुई, वर्तमान में अपने यशस्वी रूप में पहचानी- स्वीकारी जाती है, हिन्दी के उज्जवल भविष्य को लेकर पूरी तरह से आशान्वित हुआ जा सकता है |” अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ चिकित्सक, कवि डा० अखिलेश चन्द्र गौड़ ने कहा, ” हिन्दी ने आजादी से और आजादी के बाद बहुत संघर्ष झेला है, उसे वह सम्मान नहीं मिला, जिसकी वह हक़दार थी, यद्यपि वर्तमान में हिन्दी ने पर्याप्त उन्नति की है तथापि अभी और विकसित किए जाने की आवश्यकता है | हिन्दी के उज्ज्वल भविष्य के लिए राजनैतिक संरक्षण जितना अपेक्षित है, उससे कहीं ज्यादा हमारी व्यवहारिक स्वीकार्यता आवश्यक है|” विशिष्ट अतिथि डा० आलोक रंजन कुमार,डा० जंगबहादुर पाण्डेय, डा० ऊषा अग्रवाल, संस्थाध्यक्ष डा० राम प्रकाश ‘पथिक’, संस्था- निदेशक डा० विमलेश अवस्थी, आदि ने विषय सापेक्ष सारगर्भित वक्तव्य प्रस्तुत किए | समापन पर निर्झर की ओर से सचिव अखिलेश सक्सेना ने सभी अतिथियों व श्रोताओं के रूप में जुड़े डा० राजेन्द्र रमण शर्मा, डा० प्रतिभा पाराशर, डा० चुन्नन कुमारी, उत्कर्ष राज, डा० उर्वशी आदि के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया |