कासगंज, संवाद न्यूज  : यूक्रेन में जारी युद्ध से वहां के हालात लगातार बिगड़ रहे हैं। जिससे वहां फंसे भारतीय छात्र-छात्राएं विकट संकट का सामना कर रहे हैं। कासगंज के सात छात्र-छात्राएं यूक्रेन के अलग-अलग शहरों में फंसे हुए हैं। सैकड़ों छात्र बंकर में छिपे हुए हैं। ऐसे में उनके सामने खानपान का संकट खड़ा हो गया है। एमबीबीएस तृतीय वर्ष के छात्र शोभित माहेश्वरी काफी संकट में हैं। वह विनीसिया शहर में पढ़ाई कर रहा था। हॉस्टल से 350 किलोमीटर दूर कीव शहर से गुरुवार को भारत की फ्लाइट पकड़कर आने वाला था। उससे पहले ही कीव पर हमला हो गया। फ्लाइट रोक दी गईं। शोभित वापस अपने हॉस्टल नहीं पहुंच पाया। जैसे तैसे और छात्रों की मदद से रात गुजारी। शुक्रवार को दिन में छात्रों के पास मौजूद चावल बनाकर खाए। जिसमें 4-6 चम्मच चावल ही हिस्से में आए। शनिवार सुबह शोभित ने वहां से वीडियो भेजे हैं, जिसमें सैकड़ों छात्र एक बेसमेंट में बैठे दिखाई दे रहे हैं।

कासगंज के नगला वाले सहावर गेट के निवासी बेसिक शिक्षा विभाग में कार्यरत शिक्षक मनोज कुमार का पुत्र विशाल प्रताप सिंह भी यूक्रेन में फंसा है। वह विनिस्ता शहर में एमबीबीएस का छात्र है। पिता मनोज कुमार का कहना है कि विशाल प्रताप से बात करने पर उसका कहना है कि विनिस्ता में अभी कोई खतरा नहीं है,  लेकिन दहशत का माहौल है। खान पान के समान की दिक्कत है।

आवास विकास कॉलोनी निवासी वीरेंद्र कुमार सिंह की पुत्री शिवानी सिंह यूक्रेन के टर्नेपिल सिटी में एमबीबीएस तृतीय वर्ष की छात्रा है। उसने बताया कि अभी टर्नेपिल सिटी में कोई हमला नहीं हुआ है, लेकिन दहशत का माहौल बना हुआ है। बेटी की भारत वापसी के लिए पिता गुहार लगा रहे हैं। पिता वीरेंद्र सिंह का कहना है कि बेटी को पोलैंड के रास्ते भारत लाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन टर्नेपिल सिटी में खौफ का आलम है। खान पान की वस्तुओं का संकट होने लगा है।

शोभित के पिता राजकुमार ने बताया कि बच्चों के पास पर्याप्त पैसे नहीं है। लोग ऑनलाइन ट्रांजक्शन नहीं कर रहे केवल कैश मांग रहे हैं। रात को एक जगह रुकने के लिए शोभित और उसके साथियों से 50-50 डॉलर के हिसाब से मांगे गए थे। अब सभी छात्र एक हॉस्टल के बेसमेंट में छिपे हुए हैं। यूक्रेन में हालात बिगड़े हुए हैं। पल पल शोभित की चिंता सता रही है। राजकुमार फोन के माध्यम से लगातार उससे संपर्क में हैं, लेकिन जब उसका फोन नहीं लगता है या अचानक कॉल कट जाती है तो बेचैन हो जाते हैं।

डरा हुआ है शिवकुमार, मदद की गुहार

पटियाली तहसील क्षेत्र के गांव खिजरपुर का शिवकुमार यूक्रेन के जापोरीज्ज्या में एमबीबीएस चतुर्थ वर्ष का छात्र है। पिता कृष्णपाल सिंह का कहना है कि यूक्रेन में जापोरीज्ज्या में हालात बेहद खराब हैं। युद्ध की वजह से शिवकुमार काफी डरा हुआ है और भयभीत है। उससे टेलीफोन पर संपर्क हो रहा है। किसी तरह की कोई मदद नहीं हो पा रही। बच्चों के सामने खाने पीने का संकट है। वहां चारों तरफ अफरातफरी का माहौल है।

यूक्रेन के खारकीव में गंगागढ़ का छात्र गिर्राज यादव एयरक्राफ्ट टेक्नीशियन की शिक्षा ले रहा है। रूस खारकीव शहर पर लगातार मिसाइल व बम से हमले कर रहा है। जिससे वहां की स्थिति बेहद खराब है। धमाकों की आवाज से दहशत का माहौल है। गिर्राज यादव ने परिजनों को बताया कि वहां बिजली, पानी का संकट होने लगा है। खाने पीने की चीजें भी नहीं मिल पा रही हैं।

चारों तरफ है दहशत का आलम- दामिनी

आवास विकास कॉलोनी निवासी छोटे लाल की पुत्री दामिनी शाक्य यूक्रेन के डिनिप्रो शहर में एमबीबीएस प्रथम वर्ष की छात्रा है। युद्ध के बाद से लगातार दामिनी से उसके पिता छोटे लाल व मां संपर्क में हैं, लेकिन यह संपर्क बीच में टूट जाता है। पिता छोटेलाल ने बताया कि डेनिप्रो शहर में सेना का एयरबेस भी है। जहां बमबारी की पूरी आशंका है। जिसको लेकर सभी बच्चे डरे हुए हैं। अभी तक बच्चे हॉस्टल में सुरक्षित हैं, लेकिन युद्ध के हालात में कभी भी कुछ हो सकता है। भारत सरकार यूक्रेन में फंसे बच्चों को वहां से जल्द सुरक्षित निकाले।

स्टोर में मिली केवल मैगी- गर्विता

यूक्रेन के विनीसिया में प्रियदर्शन माहेश्वरी की पुत्री गर्विता माहेश्वरी एमबीबीएस तृतीय वर्ष की छात्रा है। जो हॉस्टल में रह रही है। गर्विता ने अपने परिजनों को बताया कि बमबारी से बिगड़े हालात के बाद मॉल व स्टोर से खानपान का सामान लोगों ने खरीद लिया। सामान की आपूर्ति प्रभावित हो गई है। जब वह स्टोर में खरीदारी के लिए गई तो से मैगी ही मिल पाई। खाने पीने के सामान का अभाव है। वह अभी भी हॉस्टल में रह रही है। उसके पिता ने प्रशासन से मांग की है कि बच्चों को वापस भारत बुलाया जाए। भारत सरकार को तत्काल कदम उठाने चाहिए।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *