कासगंजः मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डा0 मनोज कुमार अग्रवाल द्वारा जनसामान्य को अवगत कराया गया है कि मई/जून माह में सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में गर्म हवाए/लू का प्रकोप हो जाता है, जिससे तापमान काफी बढ़ जाता है, इस अवस्था में उचित प्रबन्धन से पशुओं को लू से बचाना अति आवश्यक है। गर्म हवायें/लू के कुप्रभाव से पशु उत्पादन गिर जाता है, इसके साथ ही उचित देखरेख एवं प्रबन्धन न होने से पशु बीमारी से प्रभावित होने से मृत्यु भी हो सकती है। पशुपालन जीविका का साधन है। अतएव यह आवश्यक है कि पूर्व तैयारी कर बचाव हेतु जन जागरूकता व प्रचार प्रसार किया जाये तथा राहत सम्बन्धी कार्य कर लिया जाये।

पशुओं को गर्म हवा/लू के प्रभाव से बचाने के लिए पशुपालक पशुओं को चरायी हेतु प्रातः एवं सायंकाल ही भेजें। पशुओं को ऊपर से ढके हुये छप्पर, टीन शेड वाले स्थानों में रखें तथा यह विशेष ध्यान रखें कि रोशनदान, दरवाजों एवं खिड़कियों को टाट/बोेरे से ढक दें, जिससे सीधी हवा झोंका पशुओं तक न पहुंच सके तथा टाट/बोरे पर पानी का छिड़काव करते रहें। पशुओं को छाया में बांधंे और उन्हें पर्याप्त मात्रा में पानी तरल पदार्थ पिलायें। संतुलित आहार पशुओं को दें तथा खली, दाना, चोकर मात्रा को बढ़ा दें। साथ ही नमक एवं गुड़ का प्रयोग करें। धूप में ज्यादा देर तक रखा गर्म पानी पशुओं को न पिलायें। स्वच्छ ताजा पानी हैण्डपम्प या कुंए से ही पिलाएं। साफ पोखरों का ही पानी पिलायें। पशुबाड़े में गोबर एवं मूत्र निकास की उचित व्यवस्था करें। विशेष तौर पर प्रातः 10 बजे से सांय 4 बजे तक के बीच सूर्य के ताप से पशुओं को बचायें। उन्हंे खुले छायादार स्थान पर खड़ा करें। स्थानीय मौसम के पूर्वानुमान को रेडियो/टी0वी0 पर सुनंे और आगामी तापमान में होने वाले परिवर्तन के प्रति सर्तक रहें। लू से प्रभावित पशु के शरीर मे बुखार के लक्षण होते हैं। ऐसे पशु को तत्काल निकटवर्ती पशु चिकित्सक को दिखायें। उनसे प्राप्त परामर्श का पूर्ण रूपेण पालन करें। पशुओं को दिन में एक बार अवश्य नहलायें। सक्षम पशुपालक पशुशाला में स्प्रिंक्लर के द्वारा जल का छिड़काव करें एवं पंखों का उपयोग करें। तभी समुचित उत्पादन प्राप्त किया जा सकेगा। पशु लू लगने पर यदि तेज बुखार एवं अन्य लक्षण प्रदर्शित हो रहें हों तो तत्काल जल पिलाएं तथा निकटवर्ती पशु चिकित्सक से सम्पर्क करें। घर के बाहर छायादार स्थानों पर कटोरे में पानी भरकर रख दें जिससे कि अन्य पक्षी भी पानी पी सकें।

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