गोरखपुर : गीता प्रेस ने गांधी शांति पुरस्कार के रूप में मिलने वाली एक करोड़ की इनामी राशि लेने से इनकार कर दिया है। प्रेस प्रबंधन ने सिर्फ सम्मान पत्र लेने का फैसला लिया है। गीता प्रेस को साल 2021 के यह पुरस्कार अहिंसक और अन्य गांधीवादी तरीकों से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन की दिशा में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जाएगा।
गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार ‘‘अहिंसक और अन्य गांधीवादी तरीकों से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन की दिशा में उत्कृष्ट योगदान’’ के लिए दिया जायेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गीता प्रेस को पुरस्कार के लिए चुने जाने पर बधाई दी और क्षेत्र में उसके योगदान की सराहना की। वहीं प्रेस के प्रबंधक ने बड़ा एलान किया है।
गीता प्रेस प्रबंधन ने गांधी शांति पुरस्कार स्वीकार करने का एलान किया है। हालांकि गीता प्रेस के प्रबंधक डा. लालमणि तिवारी ने इनाम की राशि को लेकर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, एक करोड़ की सम्मान राशि नहीं लेंगे हम प्रशस्ति पत्र स्वीकार करेंगे।
संस्कृति मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता वाली जूरी ने सर्वसम्मति से गीता प्रेस, गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार के लिए चुनने का फैसला किया। बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी ने शांति और सामाजिक सद्भाव के गांधीवादी आदर्शों को बढ़ावा देने में गीता प्रेस के योगदान को याद किया। बयान के अनुसार पीएम मोदी ने कहा कि गीता प्रेस को उसकी स्थापना के सौ साल पूरे होने पर गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जाना संस्थान द्वारा सामुदायिक सेवा में किये गये कार्यों की पहचान है।
गीता प्रेस की शुरुआत वर्ष 1923 में हुई थी और यह दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक है। जिसने 14 भाषाओं में 41.7 करोड़ पुस्तकें प्रकाशित की हैं, जिनमें श्रीमद्भगवद्गीता की 16.21 करोड़ प्रतियां शामिल हैं। गांधी शांति पुरस्कार एक वार्षिक पुरस्कार है। जिसकी शुरुआत सरकार ने 1995 में महात्मा गांधी की 125वीं जयंती के अवसर पर गांधी द्वारा प्रतिपादित आदर्शों को सम्मान देते हुए की थी।