आज पूरे दिन अक्षय तृतीया रहेगी। इस दिन कोई भी शुभ काम बिना मुहूर्त देखे किया जा सकता है। इसलिए अक्षय तृतीया पर शादियां, खरीदारी और नए कामों की शुरुआत की जाती है। साल में सिर्फ इसी दिन सूर्य और चंद्रमा अपनी-अपनी उच्च राशि में होते हैं। साथ ही जया तिथि का संयोग भी बनता है। इसलिए इसे अबूझ मुहूर्त कहा जाता है। यही वजह है कि इस दिन किए गए दान और पूजा का अक्षय फल मिलता है, लेकिन इस साल महामारी के कारण सामूहिक कार्यक्रम और तीर्थ स्नान नहीं करना चाहिए।
5 राजयोग में अक्षय पर्व
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र का कहना है कि इस बार अक्षय तृतीया पर ग्रहों की खास स्थिति रहेगी। जिससे गजकेशरी, शश, भारती, सुमुख और अमला नाम के 5 राजयोग बन रहे हैं। इन शुभ योगों के बनने से ये पर्व और भी खास हो गया है। इन राजयोगों में दिए गए दान से कई गुना शुभ फल मिलता है। साथ ही हर तरह के दोष भी खत्म हो जाते हैं।
तीर्थ स्नान और दान का महत्व
अक्षय तृतीया पर्व पर पवित्र नदियों में स्नान करने और श्रद्धा अनुसार दान का महत्व है। लेकिन महामारी के कारण इस बार घर पर ही पानी में गंगाजल की कुछ बूंद डालकर नहा लेना चाहिए। ग्रंथों के अनुसार इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर नहाएं। फिर भगवान विष्णु और लक्ष्मीजी की पूजा करनी चाहिए। फिर उन्हें कमल और गुलाब के फूल चढ़ाने चाहिए। इस दिन किसी मंदिर में जल दान और मौसम के अनुसार फल दान करने का भी विशेष महत्व है।
पूजा विधि
किसी चौकी या कपड़े पर चावल रखकर उस पर भगवान विष्णु और लक्ष्मीजी की मूर्ति रखें। तस्वीर भी रख सकते हैं।
भगवान को जल चढ़ाएं इसके बाद चंदन, अक्षत, फूल, रोली और मोली चढ़ाएं। फिर अबीर, गुलाल, कुमकुम और अन्य पूजा की सामग्री चढ़ानी चाहिए। इसके बाद भगवान को दीपक दर्शन करवाकर अगरबत्ती लगाएं।
पूजा सामग्री चढ़ाने के बाद भगवान को मिठाई या फल का नैवेद्य लगाएं और प्रसाद बांट दें।
बृहस्पति संहिता: महामारी के कारण टाल दें शुभ काम
डॉ. मिश्र बताते हैं कि इस साल अक्षय तृतीया पर महामारी के कारण मांगलिक आयोजन और सामूहिक कार्यक्रमों से बचते हुए घर में ही पूजा-पाठ करनी चाहिए। इसके साथ ही विवाह और अन्य मांगलिक कार्यों को अगले शुभ मुहूर्त तक टाल देना चाहिए।
इस पर्व पर श्रद्धा अनुसार दान का संकल्प लेकर दान दी जाने वाली सामग्रियों को निकालकर अलग रख लें और स्थिति सामान्य हो जाने पर उन चीजों को दान कर देना चाहिए। डॉ. मिश्र ने बताया कि बृहस्पति संहिता ग्रंथ में ये उल्लेख है कि महामारी, प्राकृतिक आपदाओं और आपातकाल के दौरान मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए या आने वाले शुभ मुहूर्त पर टाल देना चाहिए।