3 मई को सुकर्मा योग में अक्षय तृतीया मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस पुण्य पर्व पर दान का बहुत महत्व है। धर्मशास्त्र के जानकारों के अनुसार इस दिन शोभन और मातंग योग होने से दान का पुण्य फल कई गुना बढ़ जाएगा। जिससे सुख और समृद्धि बढ़ेगी। अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त कहा गया है। इस दिन मांगलिक कामों के लिए मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं होती है।

ये ग्रह नक्षत्र रहेंगे अक्षय तृतीया पर
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के अनुसार अक्षय तृतीया पर मंगलवार के दिन शोभन और मातंग योग, तैतिल करण, रोहिणी नक्षत्र और वृष राशि का चंद्रमा रहेगा। शास्त्रीय अभिमत से देखें तो तृतीया तिथि की स्वामी गौरी हैं और रोहिणी नक्षत्र के स्वामी ब्रह्म को माना गया है।

मंगलवार को रोहिणी के संयोग से मातंग नाम का शुभ योग बन रहा है। जानकारों का कहना है कि इस शुभ संयोग में आने वाला विशेष पर्व या त्यौहार बहुत ही खास माना जाता है। इसी मान्यता के अनुसार अक्षय तृतीया पर इन योगों में दिए गए दान का पुण्य फल इंद्र के समान सुख के रूप में प्राप्त होगा।

युगादि तिथि है अक्षय तृतीया
प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र में 12 में से 11 माह युगादि व मन्वादि तिथि का संयोग बनता है। यानी इन्हें गणितीय पक्ष में युग के आरंभ की तिथि तथा मनुओं के मन्वंतर की तिथि कहा जाता है। शास्त्रीय मान्यता में जिस समय युग का आरंभ हुआ उन्हें युगादि तिथि कहा जाता है। अक्षय तृतीया युगादि तिथि की श्रेणी में आती है।

जरूरतमंद को दान करें
पं. मिश्र के मुताबिक अक्षय तृतीया पर जरुरतमंद लोगों को खाना खिलाएं और जलदान करना चाहिए। ऐसा करने से मिलने वाला पुण्य फल कभी खत्म नहीं होता। मौसम को ध्यान में रखते हुए शीतल पेय, मटका और ठंडे पानी का दान करना चाहिए। साथ ही कपड़े, छाता और जूते-चप्पल का भी दान किया जा सकता है। इस दिन जानवरों और पक्षियों के लिए भी पीने के पानी की व्यवस्था करना चाहिए। इस दिन जरूरत की सारी चीजें दान करने से अक्षय फल प्राप्त होगा।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *