अगहन महीने का शुक्लपक्ष 5 दिसंबर, रविवार से शुरू हो गया है। जो कि 19 तारीख तक रहेगा। तिथियों की घट-बढ़ होने के बावजूद ये पखवाड़ा 15 दिनों का ही रहेगा। मार्गशीर्ष महीने के शुक्लपक्ष में तीज-त्योहारों के 6 दिन रहेंगे। साथ ही इस दौरान खर मास भी शुरू हो जाएगा। खर मास में शादियां और गृह प्रवेश जैसे बड़े मांगलिक कामों की मनाही होती है। लेकिन तीज-त्योहार मनाने के लिए इस महीने का धार्मिक महत्व नहीं माना गया है।

श्रीकृष्ण का प्रिय महीना
मार्गशीर्ष यानी अगहन महीना पवित्र माना जाता है। ये श्रीकृष्ण को बहुत प्रिय है। शास्त्रों में इसे श्रीकृष्ण का स्वरूप कहा गया है। हिंदू पंचांग के मुताबिक मार्गशीर्ष की शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में धनुर्धारी अर्जुन को गीता का उपदेश सुनाया था। गीता के एक श्लोक में श्रीकृष्ण मार्गशीर्ष मास की महिमा बताते हुए कहते हैं कि गायन करने योग्य श्रुतियों में मैं बृहत्साम, छंदों में गायत्री और मास में मार्गशीर्ष और ऋतुओं में बसंत हूं। शास्त्रों में मार्गशीर्ष का महत्व बताते हुए कहा गया है कि हिन्दू पंचांग के इस पवित्र मास में गंगा, यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने से रोग, दोष और पीड़ाओं से मुक्ति मिलती है।

इन दिनों शुरू होगा खरमास
अगहन महीने के शुक्लपक्ष में खर मास की शुरुआत होगी जो कि पौष महीने तक रहेगा। इस पखवाड़े में 16 दिसंबर को सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेगा। इसी के साथ खर मास शुरू हो जाएगा। पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि जब भी सूर्य गोचर करते हुए धनु राशि में आता है तो उसे खर मास और मीन राशि में आता है तो उसे मीन मास कहा जाता है।

इन दो मास में मांगलिक काम करने की मनाही है। लेकिन भगवान सूर्य की पूजा और व्रत करने की परंपरा बताई गई है। जिसमें सूर्य को अर्घ्य देकर इनके 12 नाम बोलकर प्रणाम करना चाहिए। जिससे मनोकामना पूरी होती है और जाने-अनजाने में हुए पाप और दोष खत्म हो जाते हैं।

अगहन महीने के शुक्लपक्ष में आने वाले तीज-त्योहार

बुधवार, 8 दिसंबर: इस दिन विवाह पंचमी है। त्रेतायुग में इसी तिथि पर श्रीराम और सीता का विवाह हुआ था। इस दिन श्रीराम और सीता की विशेष पूजा करें। रामायण का पाठ करें।

मंगलवार, 14 दिसंबर: इस दिन मोक्षदा एकादशी है। इस दिन व्रत के साथ श्रीकृष्ण और भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन गीता जयंती पर्व भी मनाया जाता है। इस पर्व पर नदी में स्नान करने और दान-पुण्य करने की परंपरा है।

गुरुवार, 16 दिसंबर: इस दिन सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेगा। इसे धनु संक्रांति कहा जाता है। इस दिन नदी में स्नान करने और दान-पुण्य करने की परंपरा है। इस दिन से खरमास शुरू हो जाएगा। सूर्य के धनु राशि में आने से खरमास शुरू होता है। जो कि 14 जनवरी तक रहेगा। इस माह में विवाह आदि मांगलिक कर्म नहीं किए जाते हैं।

शनिवार, 18 दिसंबर: इस दिन दत्तात्रेय जयंती है। इस तिथि पर ऋषि अत्रि और सति अनुसुया के पुत्र दत्तात्रेय का जन्म हुआ था। त्रिदेवों का अंश होने से शैव और वैष्णव दोनों ही भगवान दत्तात्रेय की पूजा करते हैं।

रविवार, 19 दिसंबर: इस दिन मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा तिथि है। ये इस हिंदी महीने का आखिरी दिन रहेगा। अगहन महीने के इस पूर्णिमा पर्व पर स्नान-दान और पूजा-पाठ करने की परंपरा है।

सोमवार, 20 दिसंबर: इस दिन से हिंदी कैलेंडर का दसवां महीना यानी पौष मास शुरू हो जाएगा। इस महीने में भगवान सूर्य की विशेष पूजा करने की परंपरा है। ग्रंथों के मुताबिक पौष महीने में किए गए स्नान-दान का कई गुना पुण्य फल मिलता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *