25 जून से हिंदू कैलेंडर का चौथा महीना शुरू हो रहा है। जो कि 24 जुलाई तक रहेगा। आषाढ़ महीना धर्म-कर्म के अलावा सेहत के नजरिये से भी बहुत खास होता है। आयुर्वेद के प्रमुख आचार्य चरक, सुश्रुत और वागभट्‌ट ने इस महीने को ऋतुओं का संधिकाल कहा है। यानी ये मौसम परिवर्तन का समय होता है। इस दौरान गर्मी खत्म होती है और बारिश की शुरुआत होती है। ज्योतिषीयों के मुताबिक आषाढ़ महीने में सूर्य मिथुन राशि में रहता है। इस कारण भी रोगों का संक्रमण बढ़ता है।

गर्मी और बारिश का संधिकाल
बनारस के आयुर्वेद हॉस्पिटल के चिकित्सा अधिकारी डॉ. प्रशांत मिश्रा बताते हैं कि आषाढ़ महीने में गर्मी खत्म होने लगती है और ये बारिश का मौसम शुरू होता है। दो मौसमों के संधिकाल की वजह से इन दिनों बीमारियों का संक्रमण ज्यादा होने लगता है। साथ ही नमी की वजह से फंगस और इनडाइजेशन की समस्या भी बढ़ जाती है। इसी महीने में ही मलेरिया, डेंगू और वाइरल फीवर ज्यादा होते हैं। इसलिए खान-पान पर ध्यान देते हुए छोटे-छोटे बदलाव कर के ही बीमारियों से बचा जा सकता है।

फंगस से बचने के लिए नीम, गिलोय और त्रिफला
डॉ. मिश्र का कहना है कि आयुर्वेद के मुताबिक आषाढ़ महीने के दौरान फंगस रोग बढ़ने लगते हैं। जिससे बचने के लिए नीम, लौंग, दालचीनी, हल्दी और लहसुन का इस्तेमाल ज्यादा करना चाहिए। इनके साथ ही त्रिफला चूर्ण को गरम पानी के साथ लेना चाहिए और गिलोय भी खाना चाहिए। साथ ही इस महीने में टमाटर, अचार, दही और अन्य खट्‌टी चीजें खाने से बचना चाहिए।

ज्यादा तेल और मसालेदार खाने से परहेज
ऋतु परिवर्तन के इस काल में पानी से संबंधित बीमारियां ज्यादा होती हैं। ऐसे में इन दिनों पानी उबालकर पीना चाहिए। आषाढ़ में रसीले फलों का सेवन ज्यादा करना चाहिए। इन दिनों में आम और जामुन खाने चाहिए। हालांकि बेल से पहरेज करें। पाचन शक्ति सही रखने के लिए मसालेदार और तली भुनी चीजें कम खानी चाहिए। आषाढ़ महीने में सौंफ और हींग का सेवन करना फायदेमंद माना गया है। इस महीने में साफ-सफाई पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।

 

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