गुरुवार, 11 फरवरी को महाशिवरात्रि है। इस उत्सव पर शिवलिंग के दर्शन करने और पूजा करने से मन शांत होता है। इस बार शिवरात्रि पर श्रीवत्स नाम का शुभ योग बन रहा है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार गुरुवार को धनिष्ठा नक्षत्र होने से श्रीवत्स योग बनेगा। शिवरात्रि पर चंद्र और बुध का राशि परिर्वतन भी हो रहा है। इन योगों में शिव पूजा करने से भक्त की अशांति खत्म होती है। नकारात्मक विचार दूर होते हैं।

11 मार्च की सुबह करीब 9.45 बजे चंद्र मकर से कुंभ में प्रवेश करेगा। इसके बाद बुध ग्रह भी करीब 11.30 बजे मकर से कुंभ में आ जाएगा। इस वजह से कुंभ राशि में बुध और चंद्र दोनों का योग बनेगा। बुध ग्रह बुद्धि का और चंद्र मन का कारक है। शिवरात्रि पर शिव पूजा करने से बुद्धि और मन दोनों नियंत्रित रहते हैं।

शिवरात्रि पर ऐसे कर सकते हैं पूजा

शिवजी की सामान्य पूजा में शिवलिंग पर तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं। चांदी के लोटे से दूध चढ़ाएं। हार-फूल, चंदन, जनेऊ, सफेद वस्त्र चढ़ाना चाहिए। अलग-अलग अनाज और फूल भी शिवलिंग पर चढ़ाएं। पूजा में ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप कर सकते हैं।

अक्षत यानी चावल जरूर अर्पित करें। ध्यान रखें चावल टूटे न हों। इसके साथ ही काले तिल, खड़े मूंग, जौ, गेहूं, कमल के फूल, सफेद कमल भी चढ़ाएं।

शिवलिंग पर बिल्वपत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल चढ़ाना न भूलें।

भगवान को मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें।

पूजा में हुई जानी-अनजानी भूलों के लिए भगवान से क्षमा मांगें। पूजा के बाद प्रसाद अन्य भक्तों को बाटें और स्वयं भी ग्रहण करें।

शिवरात्रि से जुड़ी मान्यता

पं. शर्मा के अनुसार प्राचीन समय में इसी तिथि पर शिवजी और देवी पार्वती का विवाह हुआ था। इसी वजह से इस दिन शिवजी के साथ ही देवी पार्वती की भी विशेष पूजा जरूर करनी चाहिए।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *