रविवार, 22 अगस्त को सावन माह पूर्णिमा है। इस तिथि पर रक्षाबंधन भी मनाया जाता है। 22 अगस्त को सावन माह खत्म हो जाएगा। 23 अगस्त से भाद्रपद मास शुरू हो जाएगा। पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में स्नान करने और दान-पुण्य करने की परंपरा है। सावन माह की अंतिम तिथि पर शिवजी, गणेशजी के साथ ही, सूर्य, भगवान विष्णु की भी पूजा जरूर करें।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार रक्षाबंधन पर अपने इष्टदेव को रक्षासूत्र अर्पित करना चाहिए। अगर हम चाहें तो शिव जी, हनुमान जी, गणेश जी और भगवान विष्णु को भी रक्षासूत्र अर्पित कर सकते हैं।
सावन माह की पूर्णिमा पर शिवलिंग की पूजा करें और इसके बाद जरूरतमंद लोगों को धन-अनाज का दान करें। शिव पूजा करने पर भक्त का मन शांत होता है। नकारात्मक विचार दूर होते हैं।
शिवलिंग पर चंदन, बिल्वपत्र, दूध, सफेद वस्त्र चढ़ाना चाहिए। इनके साथ अलग-अलग अनाज और फूल भी शिवलिंग पर चढ़ाएं। पूजा में ऊँ सांब सदाशिवाय नम: मंत्र का जाप करें। अक्षत यानी चावल भी शिव जी को चढ़ाना चाहिए। ध्यान रखें चावल टूटे न हों।
शिव पूजा में तिल चढ़ाने का भी विशेष महत्व है। तिल चढ़ाने से कुंडली से संबंधित कई दोष दूर हो सकते हैं। खड़े मूंग बुध ग्रह से संबंधित दोष दूर करने के लिए शिव जी को चढ़ा सकते हैं। शिवलिंग जौ चढ़ाने से अक्षय पुण्य मिलता है। शिवलिंग पर गेहूं चढ़ाने से घर में अन्न की कमी नहीं होती है।
शिवलिंग पर कमल के फूल चढ़ा सकते हैं। विचारों की पवित्रता के लिए सफेद कमल चढ़ाना चाहिए। शिवलिंग पर बिल्वपत्र चढ़ाना बहुत शुभ माना गया है। इससे सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
पूर्णिमा पर किसी ब्राह्मण से घर में सत्यनारायण भगवान की कथा करवानी चाहिए। पूजा के बाद ब्राह्मण को दान-दक्षिणा जरूर देनी चाहिए। पूर्णिमा तिथि पर विष्णु जी और देवी लक्ष्मी की पूजा भी जरूर करें।
दक्षिणावर्ती शंख में केसर मिश्रित दूध भरें और विष्णु-लक्ष्मी का अभिषेक करें। वस्त्र, हार-फूल, फल और भोग चढ़ाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें।