अगहन यानी मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा शनिवार, 18 दिसंबर और रविवार, 19 दिसंबर को है। इस पूर्णिमा पर भगवान शिव, विष्णु जी और ब्रह्मा जी के संयुक्त अवतार भगवान दत्तात्रेय का प्रकट उत्सव भी मनाया जाता है। दत्त पूर्णिमा शनिवार को मनाई जाएगी।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार भगवान दत्त के पिता ऋषि अत्रि और माता अनसूया थीं। शनिवार को ये पूर्णिमा होने से इस दिन दत्तात्रेय के साथ ही शनिदेव की भी विशेष पूजा जरूर करें।

18 दिसंबर को दत्त पूर्णिमा और 19 दिसंबर को स्नान-दान की पूर्णिमा रहेगी। इसके बाद 20 दिसंबर से नया माह पौष शुरू हो जाएगा। पूर्णिमा पर किसी पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। स्नान के बाद सूर्य को तांबे के लोटे से जल अर्पित करें और ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें।

इस पूर्णिमा पर किसी पवित्र में नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। ऐसा करने से घर पर तीर्थ और पवित्र नदी में स्नान करने का पुण्य मिल सकता है।

पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ने-सुनने की भी परंपरा है। भगवान सत्यनारायण को केले और हलवे का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। भगवान की कथा सुनें। साथ ही, संकल्प लें कि हम सदैव सत्य का साथ देंगे, कभी भी झूठ नहीं बोलेंगे। भगवान के प्रसाद का अनादर न करें।

पूर्णिमा शिवलिंग पर तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं। बिल्व पत्र और धतूरा चढ़ाएं। मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाएं और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें।

रविवार को स्नान-दान की पूर्णिमा है तो इस दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद भगवान सूर्य को जल चढ़ाएं। गुड़ और तांबे के बर्तनों का दान करें। किसी मंदिर में पूजन सामग्री भेंट करें।

 

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