गुरुवार, 13 जनवरी को पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी है। इसे पुत्रदा एकादशी कहा जाता है, इस दिन खासतौर पर संतान के सुखी और स्वस्थ जीवन की कामना से व्रत-उपवास किए जाते हैं।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार सालभर की सभी एकादशियों का महत्व स्कंद पुराण के वैष्णव खंड में एकादशी महात्म्य अध्याय में बताया गया है। एकादशी पर विष्णु जी के लिए व्रत किया जाता है, विशेष पूजा की जाती है। पुत्रदा एकदशी पर बाल गोपाल और गुरु ग्रह के लिए भी विशेष पूजा-पाठ करनी चाहिए।

बाल गोपाल की ऐसे कर सकते हैं पूजा

एकादशी पर सुबह जल्दी उठें और सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें। घर के मंदिर में सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें। गणेश जी को स्नान कराएं। वस्त्र, हार-फूल चढ़ाएं। भोग लगाएं और धूप-दीप जलाकर आरती करें। गणेश पूजा के बाद बाल गोपाल की पूजा शुरू करें।

बाल गोपाल को पंचामृत से और फिर शुद्ध जल से स्नान कराएं। वस्त्र हार-फूल और आभूषण अर्पित करें। फल, मिठाई, जनेऊ, नारियल, पंचामृत, दक्षिणा आदि पूजन सामग्री चढ़ाएं। तुलसी के पत्ते डालकर माखन-मिश्री का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें।

पूजा में कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जाप 108 बार करें। पूजा में हुई अनजानी भूल के लिए क्षमा याचना करें। इसके बाद अन्य भक्तों को प्रसाद बांट दें और खुद भी प्रसाद ग्रहण करें।

गुरुवार और एकादशी के योग में देवगुरु बृहस्पति की भी पूजा जरूर करें। गुरु ग्रह की पूजा शिवलिंग रूप में की जाती है, इसलिए शिवलिंग पर पीले फूल चढ़ाएं, भगवान को बेसन के लड्डू का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें।

 

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