कार्तिक महीने का आखिरी दिन 19 नवंबर को है। इस दिन पूर्णिमा तिथि रहेगी। कार्तिक पूर्णिमा पर तीर्थ स्नान, व्रत, भगवान विष्णु-लक्ष्मी की पूजा और दीपदान करने की परंपरा है। इस दिन किए गए स्नान और दान से कभी न खत्म होने वाला पुण्य मिलता है। व्रत, पूजा-पाठ और दीपदान करने से जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। पुराणों में भी इस दिन को पुण्य देने वाला पर्व बताया गया है। कार्तिक के बाद मार्गशीर्ष यानी अगहन महीना शुरू हो जाएगा।
दीपदान का महत्व
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र का कहना है कि पुराणों में कार्तिक महीने के आखिरी दिन दीपदान का बहुत महत्व बताया गया है। महापुण्यदायक व मोक्षदायक कार्तिक महीने के मुख्य नियमों में सबसे प्रमुख दीपदान ही है। इस महीने में दीपदान करने से कई पर्व का फल मिलता है। दीपदान का अर्थ होता है आस्था के साथ दीपक प्रज्वलित करना।
कार्तिक महीने के आखिरी दिन दीपदान जरूर करना चाहिए। अग्निपुराण में कहा गया है कि दीपदान से बढ़कर न कोई व्रत है, न था और न होगा। विद्वानों का कहना है कि पद्मपुराण में भी भगवान शिव ने भी अपने पुत्र कार्तिकेय जी को दीपदान का माहात्म्य बताया है।
घी या तिल के तेल का दीपक जलाकर करें दीपदान
कार्तिक मास में अपने घर के आंगन में तुलसी जी के पास, अपने घर के पूजन स्थान पर, मंदिरों में या गंगा घाट पर इत्यादि जगहों पर घी का एवं तिल के तेल का दीपक जला कर दीप दान कर सकते हैं। ऐसा करने से सभी व्रत का पुण्य फल प्राप्त किया जा सकता है। व अपने पितरों को प्रसन्न कर सकते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा को गंगा स्नान से मिलता है फल
कार्तिक मास की पूर्णिमा यानी कार्तिक पूनम के दिन गंगा स्नान करने से सालभर किए गए सभी पाप खत्म होते हैं। मन से बुरी भावनाओं का विनाश होता है व अच्छे विचारों का वास होता है। माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने से सालभर के गंगा स्नान का फल मिलता है।
इस दिन सिर्फ गंगा ही नहीं बल्कि अलग-अलग क्षेत्रों में पवित्र मानी जाने वाली व पूजी जाने वाली नदियों और सरोवरों में भी श्रद्धालु स्नान कर पुण्य अर्जित करते हैं। कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस दिन देवता दीए जलाते हैं। लोगों के लिए दिवाली कार्तिक अमावस्या को मनाई जाती है मगर देवताओं के लिए यह पर्व कार्तिक पूर्णिमा के दिन आता है।