रविवार, 13 फरवरी को सूर्य मकर से कुंभ राशि में प्रवेश करेगा। सूर्य ग्रह जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है तो उसे संक्रांति कहा जाता है। सूर्य करीब एक माह एक राशि में रहता है। रविवार को सूर्य कुंभ राशि में जाएगा, इसलिए से कुंभ संक्रांति कहते हैं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक धर्म-कर्म के लिए संक्रांति का महत्व काफी अधिक है। रविवार को संक्रांति होने से सूर्य पूजा का विशेष योग बन रहा है। संक्रांति और रविवार दोनों ही सूर्य देव संबंधित हैं। संक्रांति पर पवित्र नदियों में स्नान, दान और तीर्थ दर्शन करना चाहिए।
अगर किसी नदी में स्नान करने नहीं जा पा रहे हैं तो घर पर पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाएं और नदियों का ध्यान करते हुए स्नान करें। स्नान के बाद सूर्य देव को तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं। इसके लिए लोटे में जल के साथ ही फूल और चावल भी डाल लेना चाहिए। सूर्य को जल चढ़ाते समय सूर्य को सीधे न देखें। लोटे से गिरती हुई जल की धारा से सूर्य के दर्शन करना चाहिए। अर्घ्य देते समय ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का या गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए।
सूर्य को अर्घ्य देने के बाद घर के मंदिर में विधिवत पूजा करें। पूजा के बाद घर के आसपास जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करें। संभव हो सके तो जूते-चप्पल और कपड़ों का दान भी करें। किसी मंदिर में पूजन सामग्री भेंट करें। गौशाला में हरी घास और गायों की देखभाल के लिए सहायता राशि अर्पित करें। अपने शहर के या आसपास के शहर के पौराणिक महत्व वाले मंदिरों में दर्शन और पूजन करें।
ये सूर्य ग्रह से संबंधित पर्व है। इस दिन सूर्य ग्रह से संबंधित चीजें जैसे गुड़, तांबे के बर्तनों का दान भी जरूर करें। ऐसा करने से कुंडली के सूर्य से जुड़े दोष शांत हो सकते हैं।