गणेश उत्सव हर साल अगस्त या सितंबर में आता है। इस बार ये 19 सितंबर तक रहेगा। इस दौरान गणेशजी की विशेष पूजा करने से संकट दूर होते हैं और मनोकामनाएं भी पूरी होती है। लेकिन पूजा के बाद आरती न हो तो पूजा का फल आधा ही रह जाता है। भगवान गणेश की आरती करने से दाम्पत्य जीवन में सुख और सौभाग्य आता है और घर में समृद्धि बढ़ती है। आरती करने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। वहीं, आरती में शामिल होने वालों पर भी भगवान गणेश की कृपा बनी रहती है।

पद्मपुराण में कहा गया है कि कुंकुम, अगर, कपूर, घी और चन्दन से सात या पांच रुई की बत्तियां बनाएं। इनके साथ शंख, घण्टा या बाजे बजाते हुए आरती करने से समृद्धि बढ़ती है और मनोकामनाएं पूरी होती होती है। गणपति उत्सव के अलावा भी हर महीने की चतुर्थी को भी गणेश जी की पूजा करने की परंपरा है। क्योंकि श्रीगणेश इस तिथि के स्वामी है। इनकी पूजा करने से इन विशेष तिथियों और त्योहार के अलावा हर बुधवार को गणेश जी की पूजा और आरती करनी चाहिए। ऐसा करने से गणेश जी जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं।

आरती शुरू करने से पहले ये मंत्र बोलें:
चंद्रादित्यो च धरणी विद्युद्ग्निंस्तर्थव च |
त्वमेव सर्वज्योतीष आर्तिक्यं प्रतिगृह्यताम ||

आरती के बाद ये मंत्र बोलें
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ।।

 

 

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