आषाढ़ महीने के गुप्त नवरात्र 11 से 18 जुलाई तक रहेंगे। पंचांग भेद होने से ये 9 की जगह 8 दिन के ही रहेंगे। इन दिनों में दस महाविद्याओं की पूजा-साधना होती है। जिनके नाम काली, तारा देवी, त्रिपुर-सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुरी भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मातंगी और देवी कमला है। बदलते मौसम में नवरात्र होने से इन दिनों किए गए व्रत-उपवास से बीमारियों से लड़ने की ताकत बढ़ती है।
क्यों कहा जाता है गुप्त नवरात्र
चैत्र और शारदीय नवरात्र से ज्यादा कठिन साधना गुप्त नवरात्र में होती है। इस दौरान देवी दुर्गा की आराधना गुप्त रूप से की जाती है इसलिए इन्हें गुप्त नवरात्र कहा जाता है। इन दिनों मानसिक पूजा का महत्व ज्यादा रहता है। मंत्रों का जाप और दुर्गा सप्तशती का पाठ भी गुप्त होता है। गुप्त नवरात्र में ज्यादातर तंत्र-मंत्र से संबंधित उपासना की जाती है। दस महाविद्याओं की पूजा पूरे विधि-विधान और सावधानी के साथ ही की जानी चाहिए। इसके लिए किसी योग्य ब्राह्मण के मार्गदर्शन में पूजा और साधना करनी चाहिए।
गुप्त नवरात्र में किन बातों का ध्यान रखें
जो भक्त गुप्त नवरात्र में देवी मां की पूजा करते हैं, उन्हें ब्रह्मचर्य का पालन विशेष रूप से करना चाहिए। घर में साफ-सफाई का ध्यान रखें। तामसिक भोजन न करें, फलाहार करें। गलत विचारों और कामों से बचें। घर में क्लेश न करें।
8 दिनों में दस महाविद्याओं की पूजा
इस बार तिथि क्षय होने की वजह से नवरात्र 9 की जगह 8 दिन के ही रहेंगे। इन 8 दिनों में दस महाविद्याओं की पूजा के लिए एक दिन में 2 देवियों की पूजा कर सकते हैं। लेकिन इनमें त्रिपुर सुंदरी और देवी कमला की पूजा पंचमी तिथि पर और सप्तमी पर देवी तारा और काली की पूजा एकसाथ कर सकते हैं। वहीं, हर दिन एक-एक देवियों की पूजा-आराधना करने पर इन 8 दिनों में दस महाविद्याओं की पूजा हो सकती है।