23 मई को शनि की चाल में बदलाव होगा। शनि देव चंद्रमा के नक्षत्र श्रवण में और अपनी ही राशि मकर में वक्री हो रहा है। यानी टेढ़ी चाल से चलेगा। इसके बाद 11 अक्टूबर को इसी नक्षत्र में गोचर करते हुए मार्गी होगा। यानी सीधी चाल से चलने लगेगा। इस तरह शनि 4 महीने 17 दिनों तक टेढ़ी चाल से चलेगा।

महामारी के असर में कमी के योग

पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. मिश्र का कहना है कि शनि के वक्री होने से देश में फैला डर का माहौल खत्म होगा। लोगों में अनुकूलता और आरोग्यता भी बढ़ेगी। शनि के प्रभाव से महामारी के असर में कमी आने की भी संभावना है। लोगों में वायरस से बचाव व दैनिक गतिविधियों में बढ़ोत्तरी होगी। लेकिन खाने की चीजों के दाम बढ़ सकते हैं। गर्मी और लू से लोगों की परेशानियां भी बढ़ सकती हैं। देश के पश्चिमी और पूर्वी हिस्सों में गर्मी का असर ज्यादा रहेगा।
कुछ जगहों में तेज हवा के साथ बारिश भी हो सकती है। भारत के पड़ोसी देशो में उत्पात बढ़ने के योग बन रहे हैं। सरकार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ेगा।

साढ़ेसाती और ढय्या वालों की बढ़ेगी मुश्किलें

शनि की टेढ़ी चाल से साढ़ेसाती वाली राशियां यानी धनु, मकर और कुंभ वाले लोग परेशान हो सकते हैं। इनके साथ ही मिथुन और तुला राशि पर ढय्या होने से इन राशियों के लोगों को भी सावधान रहना होगा। शारीरिक और मानसिक कष्ट भी हो सकते हैं। शनि के अशुभ असर से बचने के लिए गलत और गैर कानूनी कामों से दूर रहना होगा। साथ ही हनुमानजी की पूजा करनी चाहिए।

अशुभ प्रभाव से बचने के लिए ये करें उपाय

पंडित मिश्र के मुताबिक वक्री शनि के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए प्रतिदिन शनि स्त्रोत का पाठ, शनि के वैदिक मंत्र अथवा ॐ नमो भगवते शनैश्चराय व का जप करें। पीपल, नीम, आम, वटवृक्ष, पाकड़, गुलर और शमी का वृक्ष लगाएं। 16 साल से कम उम्र के बच्चों पर शनि का कोई अशुभ असर नहीं रहेगा।

 

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