ज्योतिषीय गणना के अनुसार सूर्य के दोनों और लगभग 11 डिग्री पर गुरु होता है तो अस्त माना जाता है। चूंकि देवगुरु बृहस्पति धर्म और मांगलिक कार्यों का कारक ग्रह है। इसलिए गुरु ग्रह के अस्त होने पर मांगलिक काम नहीं किए जाते हैं। इस बार 23 फरवरी से 26 मार्च तक गुरु अस्त रहेगा। इसलिए तकरीबन इन 32 दिनों तक विवाह और अन्य मांगलिक कार्यों के लिए मुहूर्त नहीं होंगे।

सूर्य के राशि परिवर्तन से अस्त होगा गुरु

पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के मुताबिक, 13 फरवरी रविवार को सुबह सूर्य ने देव कुंभ राशि में प्रवेश किया था। इस राशि में देवगुरु बृहस्पति पहले से ही मौजूद है। सूर्य के राशि बदलने के बाद दसवें दिन यानी 23 फरवरी को बृहस्पति अस्त हो जाएंगे। जो कि अगले महीने 27 मार्च को उदय होगा।

सूर्य और गुरु एक ही राशि में

वैदिक ज्योतिष में गुरु को शुभ कामों का प्रतिनिधि ग्रह माना गया है। डॉ. मिश्र के बताते हैं कि सूर्य जब गुरु की राशि धनु और मीन में प्रवेश करता है तो इससे गुरु निस्तेज हो जाते हैं, उनका प्रभाव समाप्त हो जाता है।

शुभ कामों के लिए गुरु का पूरी तरह बलशाली अवस्था में होना जरूरी है। इसलिए एक इस दौरान शुभ काम करने की मनाही होती है। खासतौर से विवाह तो बिल्कुल नहीं किए जाते हैं क्योंकि शादी के लिए सूर्य और गुरु दोनों ग्रहों की स्थिति मजबूत होनी चाहिए। इसके साथ ही लगभग 12 साल में एक बार जब बृहस्पति सूर्य की राशि सिंह में आते हैं तो भी ज्योतिषीयों के मुताबिक मांगलिक नहीं करने चाहिए।

गुरु को ऐसे करें मजबूत

डॉ. मिश्र के मुताबिक वैदिक ज्योतिष में गुरु को शुभ फलदायी ग्रह माना गया है। जन्म कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति शुभ होने पर व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता हासिल होती है। गुरु की कमजोर स्थिति से जातक को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। गुरु धनु और मीन राशि के स्वामी ग्रह हैं। ये कर्क राशि में उच्च और शनि की राशि मकर में नीच स्थिति में होता है। हर गुरुवार भगवान विष्णु को घी का दीपक लगाएं। गुरुवार का व्रत रखें और इस दिन पीली चीजों का दान करने से बृहस्पति का अशुभ असर खत्म होगा।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *