हर वर्ष सीता जी का जन्मोत्सव फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इसे जानकी जयंती के नाम से जाना जाता है। इस बार यह जयंती 6 मार्च को मनाई जाएगी। सीता जी के जन्म को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं इन्हीं में से एक कथा हम आपको बता रहे हैं।

पौराणिक कथा के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि माता सीता लंकापति रावण और मंदोदरी की पुत्री थीं। माता सीता ने वेदवती नाम की किसी स्त्री का पुनर्जन्म लिया था। वेदवती श्री हरि की परमभक्त थी। वह चाहती थी कि श्री हरि उन्हें पति के रूप में मिलें। उसने भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की। एक दिन जब वेदवती तपस्या में लीन थी तब रावण वहां से गुजर रहा था। रावण उसकी सुंदरता को देख मोहित हो गया। रावण ने वेदवती को अपने साथ चलने के लिए कहा। लेकिन वेदवती ने साफ इंकार कर दिया।

वेदवती का इंकर रावण को क्रोधित कर गया। रावण ने वेदवती के साथ दुर्व्यवहार करना चाहा। लेकिन जैसे ही रावण ने वेदलती को स्पर्श किया वैसे ही वेदवती ने खुद को भस्म कर लिया। उसने रावण को शाप दिया कि वह अगले जन्म में उसकी पुत्री के रूप में जन्म लेगी और उसकी मृत्यु का कारण बनेगी।

फिर कुछ समय पश्चात, मंदोदरी ने एक कन्या को जन्म दिया। लेकिन रावण को शाप याद था ऐसे में रावण ने उस कन्या को सागर में फेंक दिया। सागर की देवी वरुणी ने इस कन्या को धरती के देवी पृथ्वी को सौंप दिया। फिर इन्होंने कन्या को राजा जनक और माता सुनैना को सौंप दिया।

राजा जनक ने बड़े ही प्यार से माता सीता का लालन-पोषण किया। उनका विवाह श्रीराम से हुआ। वनवास के दौरान माता सीता का अपहरण रावण ने किया। इसके चलते ही श्री राम ने रावण का वध किया। इस तरह से सीता रावण के वध का कारण बनीं।

डिसक्लेमर

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