कामिका एकादशी का सावन माह में विशेष महत्व है. इस दिन भगवान विष्णु के उपेन्द्र स्वरूप की पूजा की जाती है. इस दिन सच्चे मन से पूजा अर्चना करने पर सारे पापों का नाश हो होता है. कामिका एकादशी को पवित्रा एकादशी भी कहा जाता है. कामिका एकादशी 16 जुलाई को हो.
कामिका एकादशी का महत्व
कामिका एकदशी का विशेष महत्व बताया गया है. महाभारत काल में स्वयं भगवान कृष्ण ने पांडवों को एकादशी के महामात्य के बारे में बताया था. मान्यता कि कामिका एकादशी का व्रत रखने और पूजा करने से जीवन से हर प्रकार के कष्ट का नाश होता है. सुख समृद्धि प्राप्त होती है. जीवन में सफलता प्राप्त होती है और पितृ भी प्रसन्न होते हैं. कामिका एकादशी का व्रत रखने से पापों से भी मुक्ति मिलती है. यहां तक की पूर्वजन्म की दिक्कतें भी दूर होती हैं. इसीलिए इस व्रत के फल लोक और परलोक दोनों में श्रेष्ठ फलदायी माने गए हैं.
कामिका एकादशी व्रत पूजा विधि
कामिका एकादशी का व्रत दशमी की तिथि से ही आरंभ हो जाता है. एकादशी की तिथि को स्नान करने के बाद पूजा आरंभ करने से पहले व्रत का संकल्प लिया जाता है. इसके बाद भगवान विष्णु के उपेंद्र अवतार की पूजा आरंभ करें. व्रत के दौरान भगवान विष्णु की प्रिय वस्तुओं का प्रयोग करें. पूजा में पीले वस्त्र और फल प्रयोग में लाएं. इसके अतिरिक्त दूध, पंचामृत आदि अर्पित करें.
विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें
कामिका एकादशी के व्रत में विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ विशेष फलदायी माना गया है. इस दिन सुबह और शाम दोनों समय पूजा करनी चाहिए. व्रत का पारण भी विधि पूर्वक करना चाहिए. नहीं तो पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है. व्रत के बाद दान कराना चाहिए. कामिका एकादशी के अवसर पर तीर्थ स्थानों पर नदी, कुंड, सरोवर में स्नान करने का भी विधान है.
तुलसी पत्र का प्रयोग जरूर करें
कामिका एकादशी के व्रत में तुलसी पत्र का विशेष महत्व है. इस दिन तुलसी पत्र पूजा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं.
कामिका एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारम्भ: 15 जुलाई को 10:19 पीएम
एकादशी तिथि समाप्त: 16 जुलाई को 11:44 पीएम
व्रत का पारण: 17 जुलाई को 05:57 एएम से 08:19 एएम
पारण तिथि के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय: 05:57 एएम