हिंदू धर्म में पूजा करने के पश्चात आरती करने का बहुत महत्व माना गया है। पूजा के बाद यदि आरती न की जाए तो पूजा अधूरी मानी जाती है। प्रत्येक देवी-देवता की आरती उतारते समय अलग-अलग तरह से उनकी स्तुति गाई जाती है। आरती उतारते समय घी का दीपक और कर्पूर जलाकर आरती की जाती है। पुराणों में भी आरती करने का महत्व बताया गया है। आरती करते समय जब कर्पूर, घी का दीपक जलाया जाता है और घंटा-शंख आदि बजाएं जाते हैं। जिससे घर में एक सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। भगवान के सामने आरती घुमाने का भी एक तरीका होता है, जिसके अनुसार ही हमें भगवान की आरती उतारनी चाहिए। तो चलिए जानते हैं कि क्या है इसका सही तरीका…

कैसी होना चाहिए पूजा की थाली

पूजा करते समय एक साफ थाली लें और उसे अच्छी तरह से सजाएं। सभी आवश्यक सामाग्री जैसे कर्पूर. रोली, कुमकुम, अक्षत, पुष्प, प्रसाद और धूप, दीप को थाली में व्यवस्थित रूप से रखें। आरती के लिए तांबे, पीतल और चांदी की थाली का प्रयोग किया जा सकता है। स्टील की थाली या स्टील के दीपक का प्रयोग नहीं करना चाहिए। आरती करने के लिए पीतल या चांदी के दिए का उपयोग करें यदि आपके पास ये नहीं है तो मिट्टी या फिर आटे के बने दिए का उपायोग किया जा सकता है।

आरती उतारने का सही तरीका

ज्यादातर लोगों को ये नहीं पता होता है कि आरती उतारते हुए थाली या दीपक घुमाने का भी एक सही तरीका होता है। भगवान की आरती करते वक्त दीपक को घुमाने के तरीके और संख्या पर विशेष ध्यान रखना चाहिए। भगवान की आरती सबसे पहले भगवान के चरणों से शुरू करनी चाहिए। सबसे पहले आरती उतारते समय चार बार थाली या दीपक को सीधी दिशा में घुमाएं। उसके बाद ईश्वर की नाभि के पास दो बार आरती उतारें, तत्पश्चात सात बार भगवान के मुख की आरती उतारें।

दिन कितनी बार करें आरती

वैसे तो नियम के साथ पांच बार भगवान की आरती की जाती है। मंदिरों में सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में भगवान को नींद से जगाने के लिए आरती की जाती है। उसके बाद भगवान को स्नान करवाने करवाने के बाद और उनकी नजर उतारने की लिए आरती की जाती है। इसके बाद दिन के दूसर प्रहर विश्राम के समय आरती करते हैं, जब शाम को मंदिर के कपाट खुलते हैं, तब फिर से आरती की जाती है। अंत में रात्रि के समय जब भगवान के शयन का समय होता है तो कपाट बंद करने से पहले आरती की जाती है। घर में इतनी बार आरती करना संभव नहीं होता है, इसलिए  प्रतिदिन ध्यान से सुबह और संध्यावंदन के साथ आरती जरूर करनी चाहिए।

 

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