हिंदू कैलेंडर का कार्तिक महीना सौभाग्यवती महिलाओं के लिए बहुत ही खास होता है। इस महीने की शुरुआत में सुहाग पर्व यानी करवा चौथ मनाया जाता है। ये व्रत पति की लंबी उम्र के लिए किया जाता है। इसके 3 दिन बाद अहोई अष्टमी व्रत संतान की अच्छी सेहत और मुसिबतों से बचाने के लिए किया जाता है। इसी तिथि पर मथुरा में देवी राधा की विशेष पूजा की जाती है। महिलाएं राधाष्टमी व्रत भी करती हैं। ये व्रत संतान पाने की कामना से किया जाता है।
अहोई व्रत 28 और राधाष्टमी 29 को
चंद्रमा के उदय होते वक्त अष्टमी तिथि 28 तारीख को रहेगी। इसलिए अहोई माता की पूजा और व्रत गुरुवार को रखा जाना चाहिए। वहीं, अगले दिन शुक्रवार को अष्टमी तिथि अरुणोदयव्यापिनी यानी सूर्योदय के पहले और सुबह 8.50 तक रहेगी। इसलिए राधाष्टमी पर्व 29 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
अहोई अष्टमी व्रत
ये व्रत 28 अक्टूबर को किया जाएगा। इस दिन माता पार्वती की विशेष पूजा की जाती है। महिलाएं सूर्योदय से पहले उठकर नहाकर व्रत का संकल्प लेती हैं। इसके बाद पूरे दिन व्रत रखकर शाम को सूर्यास्त के बाद माता की पूजा करती हैं और इसके बाद व्रत पूरा करती हैं। कुछ महिलाएं संतान प्राप्ति और अखंड सुहाग प्राप्ति की कामना से भी ये व्रत करती हैं।
इसका महत्व: इस दिन माताएं अपने बच्चों के लिए अहोई माता का व्रत रखती हैं। उनकी पूजा करती हैं और अपने बच्चों की लंबी उम्र और अच्छी सेहत के लिए प्रार्थना करती हैं। चंद्रमा की पूजा के साथ ये व्रत पूरा किया जाता है। बच्चों की कामना रखने वाले लोगों के लिए ये व्रत बहुत खास माना जाता है। इस व्रत से महिलाओं को सौभाग्य और समृद्धि का भी आशीर्वाद मिलता है।
राधा अष्टमी व्रत
इस बार राधाष्टमी का व्रत 29 अक्टूबर शुक्रवार को किया जाएगा। इस दिन अष्टमी तिथि अरुणोदयव्यापिनी यानी सूर्योदय से पहले और सुबह तकरीबन 8.50 तक रहेगी। इस दिन राधा देवी की विशेष पूजा और व्रत किया जाता है। इस दिन मथुरा में मौजूद राधाकुंड में स्नान करने की भी परंपरा है। महिलाएं ये व्रत परिवार की वृद्धि और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं।
इसका महत्व: इसे कृष्णा अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। मथुरा के राधा कुंड में इस दिन बहुत सारे लोग स्नान करने आते हैं। ये व्रत खासतौर से यूपी, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश में मनाया जाता है। ये व्रत महिलाएं अपनी संतान के लिए करती हैं। संतान की लंबी उम्र, खुशहाली और उनके बेहतर स्वास्थ्य की कामना से ये व्रत किया जाता है।