ये हफ्ता व्रत उपवास और दान धर्म के नाम रहेगा। इस सप्ताह 13 से 15 तारीख तक व्रत-पर्व वाले दिन रहेंगे। इनमें गुरुवार को पुत्रदा एकादशी, शुक्रवार को द्वादशी के साथ मकर संक्रांति पर्व रहेगा। अगले दिन यानी शनिवार को प्रदोष व्रत किया जाएगा। इस बार सूर्य के राशि परिवर्तन के समय को लेकर मतभेद होने से संक्रांति पर्व देश के कुछ हिस्सों में शनिवार को भी मनाया जाएगा।
पौष और खरमास होने से पूरा हफ्ता खास
15 दिसंबर से शुरू हुआ खरमास अगले सप्ताह में खत्म होगा। ग्रंथों में खरमास के दौरान विष्णु पूजा करने का विधान बताया गया है। साथ ही पौष महीने के स्वामी भगवान विष्णु और देवता सूर्य होने से इस दौरान सूर्य पूजा करने की भी परंपरा है। स्कंद और पद्म पुराण में बताया गया है कि पौष और खरमास के संयोग में तीर्थ स्नान और दान करने से हर तरह के पाप खत्म होते हैं। इसलिए ये हफ्ता खास रहेगा।
संक्रमण से बचते हुए घर पर ही स्नान
बीमारियों के संक्रमण से बचने के लिए तीर्थ यात्राओं से बचना चाहिए। महामारी के दौर में स्नान-दान की आसान विधि पुराणों में बताई गई है। जिसके मुताबिक घर पर ही पानी में गंगाजल, तीर्थ या किसी पवित्र नदी के जल कीकुछ बूंदे डालकर नहाने से भी तीर्थ स्नान का फल मिलता है। साथ ही जरुरतमंद लोगों को अन्न और गर्म कपड़ों का दान करना चाहिए।
13 जनवरी, गुरुवार: इस दिन पौष महीने का पुत्रदा एकादशी व्रत किया जाएगा। संतान पाने के लिए ये व्रत सबसे उत्तम है। इस दिन व्रत करने से संतान की इच्छा रखने वालों को संतान सुख मिलता है। इस एकादशी का व्रत रखने वालों को व्रत से पहले दशमी के दिन ही एक समय सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए।
14 जनवरी, शुक्रवार: इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा। जिससे मकर संक्रांति पर्व मनाया जाएगा। साथ ही इस दिन पौष महीने की द्वादशी तिथि भी रहेगी। इसलिए इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ स्नान कर के उगते हुए सूरज की पूजा की जाएगी। द्वादशी तिथि होने से इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत रखने से भी बहुत पुण्य मिलेगा।
15 जनवरी, शनिवार: इस दिन त्रयोदशी तिथि होने से प्रदोष किया जाएगा। इस दिन शनिवार को प्रदोष व्रत का होना शुभ संयोग है। इसे शनि प्रदोष कहा जाता है। इस व्रत में भगवान शिव-पार्वती की पूजा करने से हर तरह की परेशानी खत्म हो जाती है। साथ ही कुंडली में मौजूद शनि दोष भी खत्म हो जाते हैं।