10 दिसंबर, शुक्रवार को नंदा सप्तमी व्रत किया जाता है। नारद पुराण में इस दिन भगवान सूर्य के लिए ‘मित्र व्रत’ करने का विधान बताया गया है। इस तिथि पर उगते सूरज को जल चढ़ाने के साथ ही दिनभर व्रत रखकर ब्राह्मण भोजन करवाना चाहिए। ऐसा करने से बीमारियों से मुक्ति मिलती है। उम्र बढ़ती है और हर तरह के दोष भी खत्म हो जाते हैं। इस व्रत को करने से आत्मविश्वास बढ़ता है और सफलता मिलती है।

अदिति के गर्भ से मित्र रूप में प्रकट हुए सूर्य
नारद पुराण में बताया गया है कि कश्यप ऋषि के तेज और अदिति के गर्भ से मित्र नाम के सूर्य प्रकट हुए। जो असल में भगवान विष्णु की दाईं आंख की शक्ति ही थी। इसलिए इस तिथि में शास्त्रोक्त विधि से उनका पूजन करना चाहिए। सूर्य के मित्र रूप की पूजा करके सात ब्राह्मणों को भोजन करवाना चाहिए। फिर उन्हें श्रद्धानुसार दक्षिणा देनी चाहिए। इसके बाद खुद भोजन करें। इस तरह व्रत करने से मनोकामना पूरी होती है।

सप्तमी तिथि के स्वामी सूर्य
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि ज्योतिष ग्रंथों में सप्तमी तिथि के स्वामी सूर्य बताए गए हैं। इसलिए शुक्लपक्ष की सप्तमी पर उगते हुए सूरज को जल चढ़ाने की परंपरा पुराणों में बताई गई है। भविष्य पुराण में भी श्रीकृष्ण के पुत्र सांब द्वारा सूर्य पूजा करने का जिक्र है। इस सूर्य पूजा से सांब को दिव्य ज्ञान मिला। श्रीकृष्ण ने भी खुद सूर्य पूजा का जिक्र किया है।

उगते सूरज को जल चढ़ाने की परंपरा
अगहन महीने की सप्तमी तिथि पर सूर्योदय से पहले उठकर उगते सूरज को जल चढ़ाना चाहिए। दिनभर श्रद्धानुसार दान, व्रत और ब्राह्मण भोजन करवाना चाहिए। इस दिन भगवान सूर्य के 12 नामों का जाप करते हुए पूजा करने का विधान है।

सप्तमी पर तांबे के लोटे में जल, चावल और लाल फूल डालकर उगते हुए सूरज को जल चढ़ाएं। जल चढ़ाते वक्त ऊँ घृणि सूर्याय नम: मंत्र बोलते हुए शक्ति, बुद्धि और अच्छी सेहत की कामना करें। जल चढ़ाने के बाद धूप और दीप से सूर्य देव की पूजा करें। इस तिथि पर तांबे का बर्तन, पीले या लाल कपड़े, गेहूं, गुड़, माणिक्य, लाल चंदन का दान करें। इस दिन व्रत करें। एक समय फलाहार कर सकते हैं लेकिन दिनभर नमक न खाएं।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *