9 ग्रहों में से शनिदेव को बेहद प्रभावी ग्रह माना गया है। आज शनिवार है और आज के दिन ही शनिदेव की पूजा की जाती है। मान्यता है कि शनिदेव व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। जो अच्छा करता है उसके साथ अच्छा और जो बुरा करता है उसके साथ बुरा। शिवजी ने ही इन्हें सभी ग्रहों में दंडाधिकारी नियुक्त किया है। कहा जाता है कि जब शनि अशुभ होता है तो व्यक्ति के जीवन में संकट और परेशानियां का तांता लगा रहता है। हालांकि, यह मान्यता है कि अगर नवरात्रि के दौरान कुछ विशेष उपाय किए जाएं तो व्यक्ति को शनि की महादशा, साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति प्राप्त हो सकती है। तो आइए जानते हैं इन उपायों को।

मिथुन राशि और तुला राशि के जातकों पर अगर शनि की ढैय्या चल रही है तो उन्हें सेहत, शिक्षा, व्यापार आदि में उतार चढ़ाव की स्थिति झेलनी पड़ती है। वहीं, धनु, मकर और कुंभ राशि पर अगर शनि की साढ़ेसाती चल रही है। वर्ष 2021 में शनिदेव का कोई भी राशि परिवर्तन नहीं है। इस बार केवल नक्षत्र परिवर्तन ही हो रहा है। ऐसे में इस दौरान जातक को कार्यों में बाधा और धनहानि जैसी परेशानियां आ सकती हैं। मान्यता है कि अगर नवरात्रि के दौरान कुछ उपाय किए जाएं तो शनिदेव बेहद प्रसन्न हो जाते हैं।

नवरात्रि में शनिदेव की पूजा करना होगा शुभ:

पंचांग के अनुसार, आज चैत्र मास की पंचमी तिथि है। यह नवरात्रि का पांचवा दिन है। इस दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है। इस दिन मृगशिरा नक्षत्र बना हुआ है। इस नक्षत्र का स्वामी मंगल है। कहा जा रहा है कि इस दिन अगर सूर्यास्त के बाद शनिदेव की विशेष पूजा की जाए तो व्यक्ति की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही पूजा के दौरान शनिदेव को सरसों का तेल भी अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से शनिदेव प्रसन्न हो जाते हैं। इस दिन शिव चालीसा का पाठ भी करना चाहिए। इसके अलावा शनिदेव के कुछ मंत्रों का जाप भी करना चाहिए।

शनि मंत्र:

ऊँ प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम:

शनि का वैदिक मंत्र:

ऊँ शन्नो देवीरभिष्टडआपो भवन्तुपीतये.

शनि का एकाक्षरी मंत्र:

ऊँ शं शनैश्चाराय नम:.

डिसक्लेमर

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