भगवान विष्णु के दशावतारों में से चौथा अवतार भगवान नरसिंह को माना जाता है जिन्होंने अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए हिरण्यकश्यप को मारने के लिए पृथ्वी पर इस रूप में अवतार लिया था। मान्यता है कि वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को श्री नरसिंह भगवान खंभे को फाड़कर प्रकट हुए थे। हिन्दू पंचांग के अनुसार, नरसिंह जयंती हर साल वैशाख मास शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर मनाई जाती है। यानी ये तिथि इस बार 25 मई र को है।

प्रदोष व्यापी व्रत इस दिन प्रदोष व्यापी व्रत करना चाहिए। यानी जिस दिन त्रयोदशी और चतुर्दशी साथ हो। हर तरह के लोग ये व्रत कर सकते हैं। इस दिन व्रत या उपवास रखकर दोपहर में वैदिक मंत्रों से भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार की पूजा करें। इसके बाद भगवान नरसिंह का ध्यान करते हुए पूजा वाली जगह को गोबर से लीपें। इसके बाद एक तांबे के कलश में रत्न डालकर उस पर अष्टदल कमल बनाएं। नरसिंह भगवान की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराकर उस पर स्थापित करें और विध्णि विधान से उनकी पूजा करें। इसके बाद कुछ चीजों का दिन दिया जा सकता है। इसमें गोदान, तिल, सोना या वस्त्र का दान करना चाहिए। कई जगह भगवान नरसिंह की कथा भी की जाती है।

उत्तराखंड में है नरसिंह मंदिर नरसिंह मंदिर, भगवान नरसिंह को समर्पित है जो भगवान विष्णु के चौथे अवतार थे। यह मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ में है और धार्मिक आस्था के प्रमुख केंद्रों में से एक है। सप्त बद्री में से एक होने के कारण इस मंदिर को नारसिंघ बद्री या नरसिम्हा बद्री भी कहा जाता है। माना जाता है कि सर्दियों के दौरान संत श्री बद्रीनाथ इस मंदिर में रहते थे। इस मंदिर में स्थापित भगवान नरसिंह की मूर्ति दिन प्रति दिन छोटी होती जा रही है। मूर्ति की बाईं कलाई पतली है और हर दिन पतली ही होती जा रही है। मान्यताओं के अनुसार, जिस दिन कलाई बिल्कुल कम होकर प्रतिमा से अलग हो जाएगी, उस दिन बद्रीनाथ को जाने वाला रास्ता सदा-सदा के लिए भूस्खलन के कारण अवरुद्ध हो जाएगा।

 

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