बुधवार, 21 अप्रैल को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि है। इसी दिन राम नवमी भी मनाई जाती है। त्रेता युग में इसी तिथि भगवान विष्णु ने श्रीराम के रूप में राजा दशरथ के यहां जन्म लिया था। 21 अप्रैल को ये तिथि होने से इस दिन गणेशजी, देवी दुर्गा और श्रीराम की पूजा का शुभ मुहूर्त बन रहा है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार किसी भी शुभ काम की शुरुआत गणेशजी की पूजा के साथ करनी चाहिए। नवमी तिथि पर गणेश पूजा के बाद देवी दुर्गा और श्रीराम का पूजन करना चाहिए। गणेशजी के मंत्र श्री गणेशाय नम:, देवी मंत्र दुं दुर्गायै नम:, श्रीराम के नाम और सीताराम मंत्र का जाप करना चाहिए। मंत्र जाप की संख्या कम से कम 108 होनी चाहिए। ज्यादा से ज्यादा आप अपने समय और श्रद्धा के अनुसार जाप कर सकते हैं।

चैत्र नवमी पर किसी देवी मंदिर में दर्शन करने जा सकते हैं। अगर अभी कोरोना महामारी की वजह से मंदिर जाने में असमर्थ हैं तो अपने घर पर देवी मां की पूजा करें। देवी मां की प्रतिमा का अभिषेक करें। कुमकुम, हार-फूल आदि चीजें अर्पित करें। सुहाग का सामान जैसे लाल चुनरी, चूड़ियां, सिंदूर आदि अर्पित करें।

राम नवमी पर श्रीराम के पूरे दरबार की पूजा करनी चाहिए। राम दरबार में श्रीराम के साथ लक्ष्मण, सीता, हनुमानजी, भरत-शत्रुघ्न शामिल रहते हैं। इन सभी का पूजन एक साथ करना चाहिए। किसी राम मंदिर में या हनुमान मंदिर में दीपक जलाएं और रामायण के कुछ पेजों का या सुंदरकांड का पाठ कर सकते हैं। हनुमानजी के मंत्र ऊँ रामदूताय नम: का जाप 108 बार करें। इस मंत्र से श्रीराम और हनुमानजी दोनों का ध्यान हो जाता है।

राम नवमी पर इन बातों का भी ध्यान रखें

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी पर घर में क्लेश न करें। साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। घर के मंदिर में सुबह-शाम दीपक जरूर जलाएं। सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाकर दिन की शुरुआत करें। अपनी माता का आशीर्वाद लेकर घर से निकलें। महिलाओं का सम्मान करें। किसी जरूरतमंद महिला को सुहाग की चीजें जैसे लाल साड़ी, चूड़ियां, कुमकुम आदि चीजों का दान करें। हनुमानजी को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं।

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