रविवार, 11 अप्रैल को चैत्र महीने की अमावस्या है। ज्योतिष के संहिता ग्रंथों के अनुसार रविवार को अमवास्या होना अशुभ माना जाता है। इस स्थिति का देश-दुनिया पर अशुभ असर पड़ता है। इस तिथि पर तीर्थ और पवित्र नदियों में नहाने के साथ ही दान और पूजा-पाठ करने की परंपरा है।

पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के अनुसार वर्तमान हालातों को देखते हुए घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर नहाने से तीर्थ स्नान का फल मिल सकता है। चैत्र अमावस्या पर ग्रहों की विशेष स्थिति बनने से इस दिन पितरों की विशेष पूजा करने से हर तरह की परेशानियां दूर होती हैं। पितरों के लिए इस दिन की गई पूजा से कुंडली में ग्रहों की स्थिति से बने पितृ दोष का अशुभ प्रभाव कम हो जाता है।

सोमवार को स्नान दान का महत्व रविवार को अमावस्या तिथि दिनभर रहेगी। लेकिन अगले दिन सोमवार को सुबह तकरीबन साढ़े 8 बजे तक ये तिथि रहेगी। सूर्योदय व्यापिनी अमावस्या के साथ सोमवती का संयोग होने से इस दिन सुबह तीर्थ के जल से स्नान करें। इसके बाद पितरों की संतुष्टि के लिए श्रद्धा के मुताबिक जरूरतमंद लोगों को अन्न-जल, कपड़े या अन्य जरूरी चीजों का दान कर सकते हैं। इस दिन गाय को घास भी खिलाना चाहिए।

पं. मिश्र के अनुसार चैत्र अमावस्या पर क्या करें – रविवार को सूरज उगने से पहले नहा लें। इसके बाद पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण और पूजा-पाठ करें। – गाय के घी का दीपक लगाएं। श्रद्धा अनुसार दान का संकल्प लें। इसके बाद गाय को हरी घास खिलाएं, कुत्तों और कौवों को रोटी खिलाएं। – अमावस्या पर महामृत्युंजय मंत्र या भगवान शिव के नाम का जाप करें। – अमावस्या तिथि के दौरान ब्राह्मण भोजन करवा सकते हैं। संभव ना हो तो किसी मंदिर में आटा, घी, दक्षिणा, कपड़े या अन्य जरूरी चीजें दान कर सकते हैं।

सोमवती अमावस्या में दान-पुण्य का है महत्व सोमवती अमावस्या पर घर में पूजा करने के बाद जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करें। किसी गौशाला में घास या धन का दान करें। मान्यता है कि इस दिन दिए गए दान का कई गुना अधिक पुण्य फल मिलता है।

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