आज मातृ नवमी पर महिलाओं का विशेष श्राद्ध किया जाएगा। इसके बाद 4 तारीख को बच्चों का श्राद्ध किया जाएगा। इसके अगले दिन 5 को उन लोगों के लिए श्राद्ध होगा जो किसी दुर्घटना या आत्महत्या में मरे हों। वहीं पितृ पक्ष का आखिरी दिन यानी 6 अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या रहेगी। इस दिन पक्ष के लिए खास रहेंगे। इन खास दिनों में किए गए श्राद्ध से पितर संतुष्ट हो जाते हैं। ये व्यवस्था इसलिए बनाई गई ताकि कोई भी पूर्वज श्राद्ध से न छुटें और सभी को पितृ लोक मिले।
श्राद्ध पक्ष में आने वाले खास दिन
30 सितंबर, गुरुवार: इस दिन पितृ पक्ष की नवमी तिथि रहेगी। इसे अविधवा या मातृ नवमी भी कहा जाता है। किसी सुहागिन महिला की मृत्यु तिथि पता न हो तो इस तिथि पर श्राद्ध करना चाहिए। इसी तिथि पर परिवार की अन्य मृत महिलाओं के लिए भी श्राद्ध किया जा सकता है।
2 अक्टूबर, शनिवार: इस दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जाएगा जो संन्यासी हो गए और उनकी मृत्यु तिथि की जानकारी न हो। ऐसे लोगों के लिए पितृ पक्ष की एकादशी तिथि पर श्राद्ध करने का विधान बताया गया है।
4 अक्टूबर, सोमवार: इस दिन बच्चों का श्राद्ध करने का विधान है। जिन बच्चों की मृत्यु तिथि पता न हो उनका श्राद्ध पितृ पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर किया जाता है।
5 अक्टूबर, मंगलवार: इस दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जाएगा जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो। यानी ऐसे लोग जिनकी मृत्यु दुर्घटना, हथियार, औजार या जहर खाने हुई हो या जिन लोगों ने आत्महत्या की हो। उनका श्राद्ध पितृ पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर किया जाना चाहिए।
6 अक्टूबर, बुधवार: इस दिन सर्वपितृ अमावस्या पर्व रहेगा। ये पूरे साल की सबसे बड़ी अमावस्या मानी जाती है। इस दिन सभी पितरों का श्राद्ध करने का विधान बताया गया है। जिन लोगों की मृत्यु किसी भी तरह हुई हो और तिथि भी न पता हो। ऐसे लोगों का श्राद्ध सर्वपितृ अमावस्या पर करने का विधान बताया गया है।
ऐसे कर सकते हैं श्राद्ध कर्म
- स्नान के बाद कुतुप काल यानी दोपहर में करीब 12 बजे श्राद्ध कर्म करना चाहिए। श्राद्ध दक्षिण दिशा में मुंह रखकर करना चाहिए।
- जलते हुए कंडों के अंगारों पर गुड़-घी, खीर और भोजन अर्पित करें। हाथ में जल लें और उसमें जौ, काले तिल, चावल, गाय का दूध, सफेद फूल और जल लेकर अंगूठे की ओर से पितरों का ध्यान करते हुए अर्पित करें।
- जल तांबे के बर्तन में अर्पित करना चाहिए। इसके बाद गाय, कुत्ते, कौए और चींटियों के लिए घर के बाहर भोजन रखें। जरूरतमंद लोगों को खाने का और धन का दान करें। ये श्राद्ध कर्म करने की सरल विधि है।