गुरुवार, 13 जनवरी को पौष महीने के शुक्लपक्ष की एकादशी है। इसे पवित्रा और पुत्रदा एकादशी भी कहा जाता है। इस तिथि पर भगवान विष्णु की विशेष पूजा की परंपरा है। पुत्रदा एकादशी गुरुवार को होने से इस दिन भगवान विष्णु की पूजा से मिलने वाला शुभ फल और बढ़ जाएगा। पौष और खरमास होने से सूर्य देव की पूजा भी खासतौर से करनी चाहिए। इस दिन व्रत-पूजा से संतान की इच्छा रखने वाले लोगों की मनोकामना पूरी होती है।

पानी में तिल मिलाकर नहाने की परंपरा
पौष महीने में आने वाली पुत्रदा एकादशी पर पानी में गंगाजल और तिल मिलाकर नहाने की परंपरा है। ऐसा करने से जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप और दोष खत्म हो जाते हैं। इस एकादशी पर तिल खाएं और इनका दान भी देना चाहिए। इस व्रत में भगवान विष्णु की पूजा के दौरान शंख से अभिषेक करने का विधान बताया गया है। साथ ही इसके बाद तुलसी पत्र चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से महापूजा का फल मिलता है।

पौष महीने में भगवान विष्णु और सूर्य पूजा का महत्व
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि हिंदू कैलेंडर के पौष महीने के देवता भगवान विष्णु और सूर्य हैं। इस महीने में भगवान सूर्य के भग रूप की पूजा करनी चाहिए। इससे सेहत अच्छी रहती है और उम्र भी बढ़ती है। खगोलीय नजरिये से देखा जाए तो इस महीने में सूर्य की रोशनी धरती के उत्तरी गोलार्द्ध पर ज्यादा देर तक रहती है। इसलिए इन दिनों सूर्य पूजा का बहुत महत्व है।
पौष महीने में भगवान विष्णु के नारायण रूप की पूजा का विधान ग्रंथों में बताया गया है। ये रूप इंसानों को अच्छे कर्म की सीख देता है। भगवान राम और श्रीकृष्ण भी नारायण रूप के अवतार थे। इसलिए पौष महीने में पड़ने वाली पुत्रदा एकादशी का व्रत खास माना जाता है।

इस दिन क्या काम करें…
1. इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ स्नान और उगते सूरज की पूजा करनी चाहिए।
2. शालग्राम और तुलसी पूजा के साथ तुलसी के पौधे में जल चढ़ाना चाहिए।
3. पीपल में भगवान विष्णु का निवास होता है। इसलिए सुबह जल्दी पीपल पूजा भी करें।
4. केले के पेड़ की पूजा करें। ऐसा करने से भी भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं।
5. जरुरतमंद लोगों को तिल, गुड़ और गर्म कपड़ों का दान करना चाहिए।

 

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