हिंदू धर्म में पूजा-पाठ, आराधना और व्रत-त्योहार में भगवान को प्रसन्न करने के लिए कई तरह की पूजा सामग्रियों को अर्पित करने की परंपरा होती है। मान्यता है कि देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा में फल-फूल और अन्य सामग्री चढ़ाने पर हर तरह की मनोकामनाएं पूरी होती है। इन पूजा सामग्रियों में पान का विशेष महत्व होता है। लगभग हर एक पूजा और अनुष्ठान में पान के पत्ते के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। लेकिन प्रश्न यह उठता है कि आखिरकार हर एक पूजा-पाठ में पान के पत्तों का प्रयोग क्यों किया जाता है? आइए जानते हैं पूजा में क्या है पान के पत्ते के उपयोग के पीछ की पौराणिक कथा ?
सबसे पहले इस देवता की हुई थी पान के पत्ते से पूजा
पौराणिक कथाओं के अनुसार जब अमृतपान के लिए देवताओं और दैत्यों के बीच समुद्र मंथन हुआ था तब समुद्रदेव की पूजा में पान के पत्ते अर्पित किए गए थे । मान्यता है कि तभी से हर एक पूजा और धार्मिक अनुष्ठान में पान के पत्ते का उपयोग किया जाता आ रहा है। वहीं एक दूसरी मान्यता के अनुसार पान के पत्ते में सभी देवी-देवताओं का वास होता है इसी कारण से हर पूजा-पाठ और अनुष्ठान में पान के पत्ते का इस्तेमाल किया जाता है। कहा जाता है कि पान के ऊपरी भाग में इंद्रदेव, पान के मध्य भाग में मां सरस्वती और पान के नीचे वाली हिस्से में मां लक्ष्मी का वास होता है। वहीं पान के अंदर के हिस्से में भगवान विष्णु, बाहरी हिस्से में भगवान शिव का स्थान माना जाता है। पान के पत्ते में सभी देवी-देवताओं के वास होने के कारण हर एक पूजा में विधि-विधान से इसका प्रयोग शुभ माना जाता है।
भगवान गणेश सभी तरह की बाधाओं को दूर करने वाले हैं। गणपति की पूजा में पान का प्रयोग सभी प्रकार की सिद्धि प्रदान करने वाला माना गया है। यदि आपको तमाम कोशिशों के बावजूद काम में सफलता नहीं मिल रही है तो आप बुधवार के दिन गणेश जी में मंदिर में जाकर पान के पत्ते के साथ सुपारी और इलायची चढ़ाएं। निश्चित रूप से बाधाएं दूर होंगी और काम पूरा होगा। वैवाहिक जीवन में मिठास लाने के लिए गणपति को मीठा पान चढ़ाएं। भगवान हनुमान को प्रसन्न करने के लिए हर मंगलवार को पान अर्पित करने से सभी तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं। पूजा में पान के पत्ते अर्पित करने से घर में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है और घर में हमेशा सकारात्मक ऊर्जा का वास रहता है।