अभी गणेश उत्सव चल रहा है। भगवान गणेश को पूजा में कई तरह की चीजें चढ़ाई जाती हैं, इन चीजों में दूर्वा के साथ ही शमी के पत्ते भी शामिल हैं। देवी-देवताओं को फूल-पत्तियां चढ़ाने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार शिव जी को बिल्व पत्र, गणेश जी को दूर्वा, विष्णु जी को तुलसी के पत्ते और शनिदेव को शमी के पत्ते प्रिय हैं। आमतौर पर मान्यता है कि शमी के पत्ते शनि को ही चढ़ाए जाते हैं, लेकिन ये पत्तियां शिव जी को और गणेश जी को भी चढ़ा सकते हैं।

गणेशजी को शमी के पत्ते चढ़ाने से सभी काम बिना बाधा के पूरे हो सकते हैं। शमी एक वृक्ष है। इसके पत्ते भी दूर्वा की तरह ही गणेशजी को प्रिय माने गए हैं। इस वृक्ष में शिवजी का वास है। गणेश उत्सव के दिनों में भगवान को शमी पत्ते चढ़ाने से बुद्धि तेज होती है, सभी क्लेशों का नाश होता है, मानसिक शांति मिलती है।

एक लोककथा के मुताबिक महाभारत काल में पांडव जब अज्ञातवास में थे। तब पांडवों में शमी वृक्ष में ही अपने शस्त्र छिपाए थे। इस वजह से भी इस पेड़ का धार्मिक महत्व है।

गणेशजी की पूजा में शमी पत्तों के साथ ही चावल, फूल, सिंदूर भी चढ़ाएं और इस मंत्र का जाप करें…

मंत्र-

त्वत्प्रियाणि सुपुष्पाणि कोमलानि शुभानि वै। शमी दलानि हेरम्ब गृहाण गणनायक।।

गणेशजी को सिंदूर भी चढ़ाएं

शिव परिवार और शिव के सभी अंश अवतारों को सिंदूर चढ़ाने का विधान है। इसके पीछे मान्यता है कि सिंदूर शिव के तेज से उत्पन्न हुए पारे (तरल धातु) से बना है। शिवजी के पुत्र गणेशजी को भी सिंदूर चढ़ाना चाहिए। गणेशजी को सिंदूर से चोला चढ़ाने पर सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। इस मंत्र के साथ गणेशजी को सिंदूर चढ़ाना चाहिए…

मंत्र– सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्। शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम्।।

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