शुक्रवार, 19 नवंबर को कार्तिक माह की पूर्णिमा है। इसे देव दीपावली भी कहा जाता है। इस दिन गुरुनानक देव जी की जयंती भी मनाई जाती है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार इसी तिथि पर भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार हुआ था। इसे भगवान विष्णु का पहला अवतार माना जाता है। प्राचीन समय में जब जल प्रलय आया था, तब मत्स्य अवतार के रूप में भगवान ने पूरे संसार की रक्षा की थी।
कार्तिक पूर्णिमा से जुड़ी मान्यताएं
कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस तिथि पर शिव जी ने त्रिपुरासुर नाम के दैत्य का वध किया था, इस वजह से इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा कहते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा को देवताओं की दीपावली के रूप में भी मनाया जाता है। इस कारण इसे देव दीपावली कहते हैं।
कार्तिक मास की अंतिम तिथि यानी पूर्णिमा पर इस माह के स्नान समाप्त हो जाएंगे। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर पवित्र नदी में स्नान, दीपदान, पूजा, आरती, हवन और दान-पुण्य करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
कार्तिक पूर्णिमा पर कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं?
इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़नी और सुननी चाहिए। जरूरतमंद लोगों को फल, अनाज, दाल, चावल, गरम वस्त्र आदि का दान करना चाहिए।
कार्तिक पूर्णिमा पर अगर नदी में स्नान करने नहीं जा पा रहे हैं तो घर ही सुबह जल्दी उठें और पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्नान करते समय सभी तीर्थों का और नदियों का ध्यान करना चाहिए।
सुबह जल्दी उठें और स्नान करने के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं। जल तांबे के लोटे से चढ़ाएं। अर्घ्य देते समय सूर्य के मंत्रों का जाप करना चाहिए। किसी गौशाला में हरी घास और धन का दान करें।
इस दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। कर्पूर जलाकर आरती करें। शिव जी के साथ ही गणेश जी, माता पार्वती, कार्तिकेय स्वामी और नंदी की भी विशेष पूजा करें। हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें।