प्रत्येक वर्ष माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। बसंत पंचमी का दिन विद्या, ज्ञान, संगीत,और कला की देवी मां सरस्वती को समर्पित है। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा पूरे विधि-विधान से की जाती है। बसंत पंचमी को श्री पंचमी और सरस्वती पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। लोग ज्ञान के साथ खुद को प्रबुद्ध करने और अज्ञानता से छुटकारा पाने के लिए देवी सरस्वती की पूजा करते हैं। बच्चों की शिक्षा शुरू करने के इस अनुष्ठान को अक्षर-अभ्यासम या विद्या-आरंभम के नाम से जाना जाता है, जो बसंत पंचमी के प्रसिद्ध अनुष्ठानों में से एक है। बसंत पंचमी को मां सरस्वती के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस बार बसंत पंचमी का पर्व 5 फरवरी, शनिवार को मनाया जाएगा। इस दिन दो शुभ योग भी बन रहे हैं। 5 फरवरी को मकर राशि में सूर्य और बुध के रहने से बुधादित्य योग बन रहा है,  वहीं सभी ग्रह चार राशियों में विद्यमान रहेंगे इस कारण केदार योग का भी निर्माण हो रहा है। ऐसे में अगर बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की आराधना के दौरान उनकी उनकी प्रिय वंदना करेंगे और माता के 108 नाम का जाप करेंगे देवी सरस्वती की कृपा जरूर मिलेगी।

मां सरस्वती की वंदना

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।

या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥

या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।

सा माम् पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥1॥

शुक्लाम् ब्रह्मविचार सार परमाम् आद्यां जगद्व्यापिनीम्।

वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्॥

हस्ते स्फटिकमालिकाम् विदधतीम् पद्मासने संस्थिताम्।

वन्दे ताम् परमेश्वरीम् भगवतीम् बुद्धिप्रदाम् शारदाम्॥2॥

अर्थ- जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली मां सरस्वती हमारी रक्षा करें।

शुक्लवर्ण वाली, संपूर्ण चराचर जगत् में व्याप्त, आदिशक्ति, परब्रह्म के विषय में किए गए विचार एवं चिंतन के सार रूप परम उत्कर्ष को धारण करने वाली, सभी भयों से भयदान देने वाली, अज्ञान के अंधेरे को मिटाने वाली, हाथों में वीणा, पुस्तक और स्फटिक की माला धारण करने वाली और पद्मासन पर विराजमान बुद्धि प्रदान करने वाली, सर्वोच्च ऐश्वर्य से अलंकृत, भगवती शारदा की मैं वंदना करता हूं!

श्री सरस्वती अष्टोत्तरशतनामावली के जाप से मिलेगा आशीर्वाद

ओं सरस्वत्यै नमः ।

ओं महाभद्रायै नमः ।

ओं महामायायै नमः ।

ओं वरप्रदायै नमः ।

ओं श्रीप्रदायै नमः ।

ओं पद्मनिलयायै नमः ।

ओं पद्माक्ष्यै नमः ।

ओं पद्मवक्त्रायै नमः ।

ओं शिवानुजायै नमः । ९ ।

 

ओं पुस्तकभृते नमः ।

ओं ज्ञानमुद्रायै नमः ।

ओं रमायै नमः ।

ओं परायै नमः ।

ओं कामरूपायै नमः ।

ओं महाविद्यायै नमः ।

ओं महापातकनाशिन्यै नमः ।

ओं महाश्रयायै नमः ।

ओं मालिन्यै नमः । १८ ।

 

ओं महाभोगायै नमः ।

ओं महाभुजायै नमः ।

ओं महाभागायै नमः ।

ओं महोत्साहायै नमः ।

ओं दिव्याङ्गायै नमः ।

ओं सुरवन्दितायै नमः ।

ओं महाकाल्यै नमः ।

ओं महापाशायै नमः ।

ओं महाकारायै नमः । २७ ।

 

ओं महाङ्कुशायै नमः ।

ओं पीतायै नमः ।

ओं विमलायै नमः ।

ओं विश्वायै नमः ।

ओं विद्युन्मालायै नमः ।

ओं वैष्णव्यै नमः ।

ओं चन्द्रिकायै नमः ।

ओं चन्द्रवदनायै नमः ।

ओं चन्द्रलेखाविभूषितायै नमः । ३६ ।

 

ओं सावित्र्यै नमः ।

ओं सुरसायै नमः ।

ओं देव्यै नमः ।

ओं दिव्यालङ्कारभूषितायै नमः ।

ओं वाग्देव्यै नमः ।

ओं वसुधायै नमः ।

ओं तीव्रायै नमः ।

ओं महाभद्रायै नमः ।

ओं महाबलायै नमः । ४५ ।

 

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