बुध ग्रह, बुधवार को ही राशि बदलकर तुला में आ गया है। ये ग्रह अपनी राशि छोड़कर शुक्र की राशि में 2 अक्टूबर तक रहेगा। बुध को गणित, कानून, संचार, वाणिज्य, त्वचा, दवा, लेखन, तर्क शास्त्र आदि का कारक माना गया है। बुध की सूर्य और शुक्र के साथ मित्रता है। सूर्य ग्रह पहले ही 17 सितंबर को कन्या राशि में प्रवेश कर चुका है।
सूर्य 17 अक्टूबर तक कन्या राशि में ही रहेगा। वहीं, शुक्र भी वर्तमान में तुला राशि में ही है। ऐसे में बुध और शुक्र की युति शेयर मार्केट और अन्य व्यापार से जुड़े लोगों के लिए अच्छे परिणाम ला सकती है। बुध को वाणी का भी कारक ग्रह माना गया है।
बुध और शुक्र से होता है आर्थिक बदलाव
शुक्र को ज्योतिष शास्त्र में लग्जरी लाइफ और मनोरंजन का कारक माना जाता है। पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि बुध जब-जब राशि बदलता है। तब-तब देश में बड़े आर्थिक बदलाव होते हैं। अभी होने वाले बुध के राशि परिवर्तन से व्यापार, सामाजिक दृष्टिकोण आदि में वृद्धि का कारक होगा।
जब बुध और शुक्र एक साथ आते हैं, तो लक्ष्मी नारायण योग भी बनता है। इस योग को बहुत ही शुभ माना गया है। जिस कुंडली में ऐसा योग बनता है। वो व्यक्ति अचानक धनवान हो जाता है। ऐसे व्यक्ति अपनी प्रतिभा, कला और ज्ञान से धन और मान सम्मान प्राप्त करते हैं। लक्ष्मी नारायण योग व्यक्ति के वैभव में वृद्धि करता है।
कामकाज में तेजी आने के योग
डॉ. मिश्र बताते हैं कि बुध के राशि परिवर्तन का असर सभी राशियों पर पड़ेगा। कई लोगों की इनकम बढ़ सकती है। रुपए पैसों की आवक बढ़ेगी। व्यापारी गतिविधियां में सुधार होगा। कामकाज में तेजी आएगी और लोगों को बुद्धि की वजह से फायदा भी मिलेगा।
राजनीति में बुद्धिमान लोगों का वर्चस्व बढ़ेगा। सरकारी नौकरी करने वाले लोगों को फायदा हो सकता है। धैर्य और संयम में वृद्धि होगी। रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। विद्यार्थियों का मन पढ़ाई में लगने लगेगा। बुध का सबसे ज्यादा प्रभाव बिजनेस पर पड़ता है। शुक्र के साथ बुध होने से बिजनेस में मंदी दूर होगी। फायदा बढ़ने लगता है। बिजनेस का कर्ज खत्म होने लगेगा और तरक्की होने लगती है।