देवी के आगमन पर कुछ लोग घर में कलश स्थापित करते हैं और जवारे बोकर देवी की आराधना करते हैं। साथ ही कई लोग अखंड ज्योत भी जलाते हैं। हालांकि, सभी ऐसा नहीं कर पाते, लेकिन शक्ति आराधना के लिए कुछ काम ऐसे होते हैं जो शास्त्र सम्मत हैं। जिन्हें भक्तगण चाहें, तो सहजता से कर देवी का आशीर्वाद पा सकते हैं।

देवी आराधना के 9 तरीके

  1. नवरात्रि के पहले दिन घर के मुख्य द्वार पर वंदनवार जरूर लगाएं। इसमें आम या अशोक के पत्ते व पुष्प हों। इसे नौ दिन यूं ही लगा रहने दें। दशहरे वाले दिन नई वंदनवार लगा दें।
  2. इन नौ दिनों में बाहर से पहनकर आए जूते-चप्पलों को घर के भीतर न लाएं या अंदर आते ही कोने में उतार दें। इससे आसुरी शक्तियां घर में प्रवेश नहीं कर पाएंगीं।
  3. देवी पूजन के दिनों में लाल रंग की शुभता मानी गई है। इसलिए पूजन में सिंदूर का इस्तेमाल जरूर करें। जो कलश रखते हैं, वे तो कलश पर टीका लगाकर स्वयं तिलक धारण करते ही हैं, जो ऐसा नहीं करते वे भी सिंदूर माथे पर अवश्य लगाएं। यह ऊर्जा का प्रतीक है।
  4. इन दिनों दीपक लगाना शुभ होता है। हर रोज़ प्रात: अपने घर में देव मंदिर में दीपक जलाएं। शाम को भी लगा सकें, तो और भी बेहतर। दीपक घर में समृद्धि लाता है।
  5. नवरात्रि में जो उपवास नहीं भी करते हैं, वे भी बहुत अधिक मात्रा में भोजन न करें। कहने का अर्थ है कि भोजन में संयम बरतें। यह मौसम का संधिकाल है, इसलिए पेट को थोड़ा ख़ाली रखना सेहत के लिए भी अच्छा है।
  6. इस दौरान दिया गया दान विशेष महत्व रखता है। कन्याओं को वस्तुएं दें या उन्हें भोजन कराएं।
  7. इन दिनों कुलदेवी की आराधना करें। अष्टमी या नवमी के दिन कुलदेवी के निमित्त पूजन करें।
  8. जो व्रत न रखें, वे शुक्रवार या रविवार को देवी मंदिर में फलों का भोग लगाएं व भक्तों को वहीं भेंट कर दें। व्रती को फलाहार कराना, व्रत के समतुल्य फल देता है।
  9. नवरात्रि में हर दिन घर में सफाई कर के मुख्य द्वार पर स्वस्तिक बनाएं और हो सके तो रोज रंगोली भी बनाएं। साथ ही सुबह शाम गुग्गल की धूप दें। इससे घर में सकारात्मकता बढ़ती है।

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