इस बार स्नान-दान का पर्व मकर संक्रांति दो दिन, 14 और 15 जनवरी को मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि इस बार सूर्य के राशि परिवर्तन के समय को लेकर पंचांगों में मतभेद है। जिससे संक्रांति पर्व दो दिन मनाया जाएगा। इस दिन सूर्य धनु से मकर राशि में प्रवेश करेगा। इसलिए मकर संक्रांति पर्व मनाया जाएगा। इस दिन से सूर्य धरती के उत्तरी गोलार्द्ध में आ जाता है। इसलिए इसे उत्तरायण पर्व भी कहते हैं।

सूर्य के राशि परिवर्तन के समय में अंतर
देश के पंचांगों में सूर्य के बदलने के वक्त को लेकर भेद है। कलकत्ता से जारी होने वाले राष्ट्रीय पंचांग के मुताबिक 14 जनवरी को दोपहर 02.30 पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा। इसलिए स्नान-दान और पूजा के साथ मकर संक्रांति पर्व शुक्रवार को ही मनाया जाना चाहिए।
पुरी, बनारस, उज्जैन और तिरुपति से निकलने वाले कुछ पंचांग और अखिल भारतीय विद्वत परिषद के अनुसार 14 तारीख की रात तकरीबन 8 बजे सूर्य मकर राशि में आएगा। सूर्यास्त के बाद सूर्य का राशि परिवर्तन होने के कारण मकर संक्रांति पर्व अगले दिन यानी 15 जनवरी, शनिवार को मनाया जाएगा।

खत्म होगा खरमास, शुरू होंगे मांगलिक काम
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि मकर संक्रांति पर सूर्य के राशि बदलते ही खरमास खत्म हो जाएगा। जिससे मांगलिक कामों की शुरुआत फिर से हो जाएगी। अब गृह प्रवेश एवं विवाह आदी मांगलिक पूजा भी कर सकेंगे। इस दिन खरमास खत्म होने से भगवान विष्णु की विशेष पूजा करने का भी विधान बताया गया है।

स्नान-दान का विशेष महत्व
इस दिन पानी में तिल और गंगाजल मिलाकर नहाने की परंपरा है। साथ ही दिनभर जरुरतमंद लोगों को तिल से बनी चीजें, कपड़े और खाना दान करना चाहिए। ऐसा करने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। मकर संक्रांति पर खासतौर से अन्न दान, तीर्थ, गंगा स्नान करना चाहिए। मंदिरों सहित जरुरतमंद लोगों को गर्म कपड़े दान करने के साथ ही गायों को हरा चारा खिलाने से पुण्य मिलता है। इस दिन से मौसम में बदलाव शुरू होने लग जाता है।

 

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